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स्विफ्ट प्रणाली का विकल्प

संदर्भ 

रूस ने भारत को रुपया-रूबल व्यापार निपटान तंत्र को आगे बढ़ाने में मदद करने के लिए स्विफ्ट वैश्विक नेटवर्क के विकल्प के रूप में अपने स्वयं के वित्तीय संदेश (मैसेजिंग) तंत्र का उपयोग करने का प्रस्ताव दिया है। 

क्या है स्विफ्ट प्रणाली 

  • स्विफ्ट (Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunications : SWIFT) प्रणाली एक ऐसा नेटवर्क है जो वित्तीय संस्थानों को सुरक्षित भुगतान को सक्षम करने वाले अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के बारे में इलेक्ट्रॉनिक संदेशों का आदान-प्रदान करने की अनुमति देता है।
  • इसका उपयोग वित्तीय संस्थानों द्वारा धन हस्तांतरण निर्देश जैसी जानकारियों को तीव्र, सटीक एवं सुरक्षित रूप से भेजने व प्राप्त करने के लिए किया जाता है। 
  • यह प्रत्येक वित्तीय संगठन को 8 या 11 अक्षरों वाला एक अद्वितीय कोड प्रदान करता है, जिसे बैंक पहचान कोड (Bank Identifier Code : BIC)  के रूप में जाना जाता है।
    • पहले चार अक्षर : संस्थान का कोड 
    • अगले दो अक्षर : देश का कोड 
    • अगले दो अक्षर : स्थान/शहर का कोड
    • अंतिम तीन अक्षर : यह वैकल्पिक है किंतु संगठन अलग-अलग शाखाओं को कोड असाइन करने के लिए इनका उपयोग करते हैं।

रूस द्वारा वैकल्पिक प्रणाली का प्रस्ताव 

  • वर्ष 2022 में यूक्रेन के विरुद्ध संघर्ष की शुरुआत के कारण प्रमुख रूसी बैंकों को स्विफ्ट प्रणाली का उपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था। 
  • स्विफ्ट सिस्टम का उपयोग करने से प्रतिबंधित रूस अब चाहता है कि भारत और अन्य BRICS देशों सहित उसके प्रमुख व्यापारिक साझेदार, संदेशों को स्थानांतरित करने के लिए स्वयं के वैकल्पिक तंत्र में शामिल हों।
  • स्विफ्ट प्रणाली के समान ही रूस द्वारा प्रस्तावित प्रणाली भी नेटवर्क से जुड़े देशों के वित्तीय संस्थानों के बीच वित्तीय संदेशों के निर्बाध प्रसारण के लिए डिज़ाइन किया गया है। 
    • हालाँकि, नई संस्थाओं को इस नेटवर्क से जुड़ने में समय लग सकता है। यह कूटनीतिक रूप से भी अत्यधिक संवेदनशील मुद्दा है। 

वैकल्पिक प्रणाली के लाभ 

  • भारत और रूस एक राष्ट्रीय मुद्रा निपटान प्रणाली चाहते हैं क्योंकि इससे अमेरिकी डॉलर जैसी कठोर मुद्राओं पर उनकी निर्भरता कम हो जाएगी। 
  • इस तंत्र के तहत दोनों केंद्रीय बैंक अमेरिकी डॉलर के बजाय अपनी मुद्राओं के बीच प्रत्यक्ष विनिमय दर निर्धारित करेंगे। 
  • राष्ट्रीय मुद्राओं में प्रत्यक्ष निपटान वि-डॉलरीकरण में मदद करने के साथ ही सस्ता, तेज एवं अधिक कुशल लेनदेन को संभव करेगा।
  • भारत-रूस व्यापार वर्ष 2023-24 में $65 बिलियन तक अनुमानित है (इसमें से अधिकांश भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद है) जिसके वर्ष 2030 तक $100 बिलियन तक पहुँचने की संभावना है। ऐसे में दोनों देश राष्ट्रीय मुद्रा व्यापार निपटान की संभावना तलाशने के इच्छुक हैं।
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