केरल में राज्य सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला ने मुक्त अवस्था में रहने वाले अमीबा (Free Living Amoeba: FLA) की पाँच सामान्य प्रजातियों की पहचान करने के लिए अपनी स्वयं की आणविक निदान परीक्षण किट विकसित की है। यह अमीबा मनुष्यों में अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (Amoebic meningoencephalitis) का कारण बन सकते हैं।
अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस के बारे में
- यह एक दुर्लभ लेकिन अत्यंत घातक मस्तिष्क संक्रमण है जो मुक्त-जीवी अमीबा (एफ.एल.ए.) के कारण होता है।
- एफ.एल.ए. के उदाहरण : नाएग्लेरिया फाउलरी, एकेन्थअमीबा प्रजातियां आदि
- यह रोग तब होता है जब ये अमीबा नाक के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचते हैं जिससे मस्तिष्क एवं मस्तिष्कमेरु द्रव (CSF) में सूजन व गंभीर क्षति होती है।
- इस रोग की मृत्यु दर 95% से अधिक है और यह कुछ ही दिनों में घातक हो सकता है।
भारत में स्थिति
- भारत में विशेष रूप से केरल जैसे गर्म एवं आर्द्र जलवायु वाले क्षेत्रों में, अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के मामले हाल में बढ़े हैं।
- इसका मुख्य कारण दूषित जल स्रोतों में स्नान, तैराकी या अन्य गतिविधियाँ हैं, जिनके दौरान अमीबा नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं।
- यह रोग एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) का हिस्सा माना जाता है और केरल ने सभी ए.ई.एस. मामलों की जांच में अमीबा की जांच को अनिवार्य किया है।
मुक्त अवस्था में रहने वाले अमीबा (FLA) के बारे में
- क्या है : यह पर्यावरण में स्वतंत्र रूप से रहने वाले अमीबा की 400 से ज़्यादा प्रजातियों का समूह है
- रोगजनक : इनमें से सिर्फ़ छह को ही मनुष्यों के लिए रोगजनक माना गया है।
- नेग्लेरिया फाउलेरी
- एकैंथामोइबा एसपीपी.
- बालमुथिया मैंड्रिलारिस
- सैपिनिया पेडाटा
- वर्मामोएबा वर्मीफोर्मिस
- पैराव्हेलकैम्फिया फ़्रैन्सिना
- आवास : ये अमीबा पर्यावरण में, विशेष रूप से गर्म एवं दूषित जल स्रोतों, जैसे- झीलों, नदियों व तालाबों में पाए जाते हैं।
- पहचान : अभी तक परीक्षण द्वारा 6 में से 5 ज़हरीले अमीबा (सैपिनिया पेडाटा को छोड़कर) की पहचान की जा सकती है।
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