चर्चा में क्यों?
भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर 23 सितंबर को आयुर्वेद दिवस के रूप में नामित किया है।

प्रमुख बिंदु:
- यह धनतेरस पर मनाए जाने वाले पहले के हिंदू त्योहार की जगह लेगा, जिसकी तिथि अलग-अलग होती है।
- इस निर्णय का उद्देश्य पिछले चंद्र-आधारित पालन से उत्पन्न होने वाली रसद चुनौतियों का समाधान करना है।
- वैश्विक आयुर्वेद-संबंधी आयोजनों के लिए एक सुसंगत, प्रतीकात्मक संदर्भ बिंदु प्रदान करना है।
कार्यान्वयन प्रक्रिया:
- वैकल्पिक तिथियों पर विचार करने के लिए आयुष मंत्रालय द्वारा एक समिति गठित की गई थी।
- विशेषज्ञों द्वारा चार संभावित तिथियों का मूल्यांकन किया गया।
- प्रतीकात्मक महत्व और व्यावहारिक लाभ दोनों के आधार पर 23 सितम्बर की तारीख सर्वसम्मति से चुनी गई।
परिवर्तन का उद्देश्य:
- प्रत्येक वर्ष आयुर्वेद दिवस के लिए एक निश्चित, पूर्वानुमेय तिथि प्रदान करना।
- अंतर्राष्ट्रीय कल्याण कथाओं में आयुर्वेद की वैश्विक भागीदारी और दृश्यता को बढ़ाना।
- आयुर्वेद दिवस को प्रतीकात्मक रूप से एक सार्वभौमिक घटना - शरद विषुव के साथ जोड़ना।
23 सितम्बर ही क्यों?
- यह दिन शरद विषुव के साथ मेल खाता है - एक ऐसा दिन जब दिन और रात लगभग बराबर होते हैं।
- यह प्रकृति में संतुलन का प्रतिनिधित्व करता है, तथा मन, शरीर और आत्मा के बीच सामंजस्य के आयुर्वेदिक दर्शन के अनुरूप है।
- यह ब्रह्मांडीय संतुलन का प्रतीक है, जो स्वास्थ्य के प्रति आयुर्वेद के समग्र और निवारक दृष्टिकोण के अनुरूप है।
पृष्ठभूमि:
- आयुर्वेद दिवस पहले धनतेरस को मनाया जाता था, जो हिंदू चंद्र कैलेंडर पर आधारित है।
- धनतेरस की तिथि हर साल बदलती रहती है - 15 अक्टूबर से 12 नवंबर के बीच।
- परिवर्तनशीलता के कारण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार समारोह आयोजित करने में कठिनाई उत्पन्न हुई।
प्रश्न: भारत सरकार ने किस तिथि को आधिकारिक रूप से आयुर्वेद दिवस के रूप में नामित किया है?
(a) 1 अक्टूबर
(b) 23 सितंबर
(c) 15 अगस्त
(d) 5 अक्टूबर
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