(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।) |
संदर्भ
हाल ही में गैर सरकारी संगठन (NGO) ‘प्रथम फाउंडेशन द्वारा वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (Annual Status of Education Report-ASER) जारी की गई।
- इस वर्ष सर्वेक्षण में 605 ग्रामीण जिलों के लगभग 6.5 लाख बच्चों को शामिल किया गया है।
- ASER 2024 रिपोर्ट मे कोविड रिकवरी के बाद पढ़ने के स्तर और बुनियादी अंकगणित क्षमता पर प्रकाश डाला गया है।
ASER रिपोर्ट के बारे में
- क्या है : नागरिकों द्वारा संचालित राष्ट्रव्यापी शिक्षण सर्वेक्षण जो एन.जी.ओ. प्रथम द्वारा आयोजित किया जाता है।
- उद्देश्य : देश के प्रत्येक ग्रामीण जिले में बच्चों के नामांकन और बुनियादी साक्षरता एवं अंकगणित सीखने के स्तर का विश्वसनीय अनुमान प्रदान करना
- प्रारंभ : वर्ष 2005
- शामिल आयु वर्ग :
- पूर्व-प्राथमिक (3-5वर्ष)
- प्राथमिक (6-14 वर्ष )
- बड़े बच्चे (15-16 वर्ष )
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
पूर्व-प्राथमिक (आयु वर्ग 3-5 वर्ष)
- पूर्व प्राथमिक संस्थानों में नामांकन में सुधार : प्री-प्राइमरी आयु वर्ग के बच्चों में नामांकन के स्तर और पैटर्न में महत्वपूर्ण बदलाव देखे गए हैं।
- 3-5 वर्ष की आयु के बच्चों में, किसी भी प्रकार के पूर्व-प्राथमिक संस्थान (आंगनवाड़ी केंद्र, सरकारी पूर्व-प्राथमिक कक्षा, या निजी एलकेजी/यूकेजी) में नामांकन में वर्ष 2018 से निरंतर सुधार हुआ है।
- इस आयु वर्ग के लिए पूर्व प्राथमिक संस्थानों में 90% से अधिक नामांकन वाले राज्यों में कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, केरल और नागालैंड शामिल हैं।
प्राथमिक (आयु वर्ग 6-14 वर्ष)
- नामांकन : वर्तमान में इस आयुवर्ग के बीच कुल स्कूल नामांकन दर लगभग 20 वर्षों से 95% से अधिक है। सभी राज्यों में, इस आयु वर्ग में नामांकन वर्ष 2024 में 95% से अधिक है।
- पढ़ने का स्तर : आंकड़े के अनुसार वर्ष 2022 से सभी प्राथमिक कक्षाओं (कक्षा I-VIII) में सरकारी स्कूलों के बच्चों के पढ़ने के स्तर में काफी सुधार हुआ है।
- ASER सर्वेक्षण के बाद वर्ष 2024 में सरकारी स्कूलों में नामांकित कक्षा III के बच्चों के लिए बुनियादी पढ़ने का स्तर सबसे अधिक है। यह सुधार निजी स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूलों में अधिक है।
- सरकारी स्कूलों में कक्षा आठ में नामांकित बच्चों के बीच पढ़ने का स्तर बढ़ा है जो वर्ष 2022 के 66.2% से बढ़कर वर्ष 2024 में 67.5% हो गया। हालांकि राज्य-स्तरीय प्रदर्शन में व्यापक रूप से भिन्नता है।
- गुजरात, उत्तर प्रदेश और सिक्किम जैसे राज्यों में सरकारी स्कूलों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है वहीं पंजाब, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में गिरावट देखी गई है।
- बुनियादी अंकगणित : राष्ट्रीय स्तर पर, सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में बच्चों के बुनियादी अंकगणित के स्तर में भी काफी सुधार हुआ है।
बड़े बच्चे (आयु वर्ग 15-16 वर्ष)
- नामांकन दर :15-16 वर्ष की आयु के ऐसे बच्चे जो स्कूल में नामांकित नहीं हैं, उनका अनुपात वर्ष 2018 के 13.1% से घटकर वर्ष 2022 में 7.5% हो गया। वर्ष 2024 में अखिल भारतीय स्तर पर लगभग यह 7.9% पर बना रहा।
- नामांकित नहीं होने वाली लड़कियों का अनुपात वर्ष 2022 में 7.9% से बढ़कर वर्ष 2024 में 8.1% हो गया।
- डिजिटल साक्षरता : पहली बार, ASER रिपोर्टमें 14-16 वर्ष के बच्चों के बीच डिजिटल साक्षरता खंड को शामिल किया गया जो स्मार्टफोन की पहुँच, स्वामित्व एवं उपयोग और बुनियादी डिजिटल कौशल पर आधारित था
- पहुँच (Access) : रिपोर्ट के अनुसार14-16 आयु वर्ग के बीच स्मार्टफोन तक पहुँच लगभग सार्वभौमिक है।
- बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने वालों का अनुपात अन्य राज्यों की तुलना में कम है।
- स्वामित्व (Ownership): 14-16 वर्ष की आयु के बच्चों में से जिनके पास स्मार्टफोन है, उनका अनुपात कम है ।14 वर्ष की आयु के 27% और 16 वर्ष की आयु के 37.8% बच्चों के पास अपना स्वयं का फोन है।
- हालाँकि स्मार्टफोन स्वामित्व के संबंध में व्यापक लैंगिक अंतराल विद्यमान है। 36.2% लड़कों के पास स्मार्टफोन का स्वामित्व है जबकि लड़कियों के मामले मे यह केवल 26.9% है।
- यह लैंगिक अंतराल लगभग सभी राज्यों में विद्यमान है।
- उपयोग (Use) : रिपोर्ट मे 14-16 आयु वर्ग के सभी बच्चों में से 82.2% स्मार्टफोन का उपयोग करना जानते हैं। जहाँ शैक्षिक गतिविधियों के लिए स्मार्टफोन का उपयोग लड़कियों और लड़कों के बीच समान था वहीं सोशल मीडिया के उपयोग के संदर्भ में लड़कियों का प्रतिशत कम है।
- डिजिटल सुरक्षा : सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले बच्चों में ऑनलाइन खुद को सुरक्षित रखने के बुनियादी तरीकों का ज्ञान अपेक्षाकृत अधिक था। हालाँकि, अनेक राज्यों में लड़कों की जागरूकता लड़कियों की तुलना में काफी ज़्यादा थी।
राज्यवार स्थिति
वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2024 देश भर में बुनियादी साक्षरता तथा सीखने के परिणामों में असमानताओं को उजागर करती है।
- वर्ष 2024 की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल की केंद्रित हस्तक्षेप की आवश्यकता वाले राज्यों के रूप में पहचान की गई है।
- रिपोर्ट के अनुसार अधिकांश राज्यों मे शिक्षकों की अनुपस्थिति और शिक्षण गुणवत्ता संबंधी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
- झारखंड, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में पढ़ने और बुनियादी अंकगणित दोनों का स्तर महामारी से पहले के स्तर से भी बहुत कम है।
- इसलिए शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए इन राज्यों में तत्काल परिवर्तनकारी प्रयासों की आवश्यकता है।
- दिल्ली मॉडल स्कूल पहल ने स्कूल के बुनियादी ढाँचे और छात्रों के परिणामों में उल्लेखनीय सुधार किया है।
- हालाँकि, ASER 2024 के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली के सीखने में तेज़ी आने के बजाय स्थिरता आ रही है।
- दिल्ली में पाठ्यक्रम में बदलाव के बावजूद, संख्यात्मकता-केंद्रित हस्तक्षेपों पर शिक्षक प्रशिक्षण को और मजबूत करने की आवश्यकता है।