4 अगस्त, 2025 को 81 वर्ष की आयु में शिबू सोरेन का दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया।
शिबू सोरेन: जीवन परिचय
- जन्म : 11 जनवरी, 1944 को नेमरा गांव, रामगढ़ जिला, तत्कालीन बिहार (वर्तमान झारखंड) में
- परिवार : संथाल आदिवासी समुदाय से, पिता शोभाराम सोरेन (शिक्षक) और माता सोनामुनी सोरेन
- मृत्यु : 4 अगस्त, 2025 को
प्रारंभिक जीवन
- शिक्षा : गोला हाई स्कूल, हजारीबाग में दसवीं कक्षा तक पढ़ाई किंतु पिता की हत्या और आर्थिक तंगी के कारण आगे की शिक्षा पूरी नहीं की।
- सामाजिक कार्य की शुरुआत : वर्ष 1962 में 18 वर्ष की आयु में संथाल नवयुवक संघ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य आदिवासी युवाओं को सामाजिक परिवर्तन के लिए एकजुट करना था।
करियर
- सामाजिक और राजनीतिक शुरुआत : पिता की हत्या के बाद आदिवासी समुदायों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाई और सामाजिक कार्यों में सक्रिय हुए।
- झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) : वर्ष 1972 में बंगाली मार्क्सवादी नेता ए.के. रॉय और बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर JMM की स्थापना की, जिसका मुख्य लक्ष्य आदिवासी भूमि अधिकारों की रक्षा तथा बिहार से अलग झारखंड राज्य की मांग थी।
- आंदोलनकारी भूमिका : 1970 के दशक में धनकटनी आंदोलन और जमींदारों के खिलाफ त्वरित न्याय की अदालतें आयोजित कीं।
राजनीति में भूमिका
- लोकसभा सांसद : दुमका से वर्ष 1980, 1989, 1991, 1996, 2004, 2009 एवं 2014 में सात बार लोकसभा सांसद चुने गए।
- राज्यसभा सांसद : वर्ष 2002 और 2020 में झारखंड से राज्यसभा सांसद चुने गए।
- मुख्यमंत्री : झारखंड के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में तीन बार कार्यरत (2005, 2008-2009, 2009-2010) किंतु राजनीतिक अस्थिरता के कारण कोई भी कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।
- केंद्रीय कोयला मंत्री : वर्ष 2004, 2004-2005 एवं 2006 में मनमोहन सिंह सरकार में कोयला मंत्री रहे किंतु हत्या के मामलों में आरोपों के कारण इस्तीफा देना पड़ा।
- विवाद:
- वर्ष 1975 के चिरुडीह नरसंहार में 11 लोगों की हत्या का आरोप; 2008 में बरी।
- वर्ष 1994 में निजी सचिव शशिनाथ झा की हत्या के मामले में वर्ष 2006 में दोषी ठहराए गए किंतु वर्ष 2007 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने बरी किया।
- वर्ष 1993 में नरसिम्हा राव सरकार को बचाने के लिए JMM के साथ कथित ‘कैश फॉर वोट’ सौदे का आरोप।
आदिवासी उत्थान में भूमिका
- झारखंड आंदोलन : वर्ष 1972 में JMM की स्थापना के साथ बिहार से अलग झारखंड राज्य के लिए 40 साल तक संघर्ष किया, जिसके परिणामस्वरूप 2000 में झारखंड राज्य का निर्माण हुआ।
- आदिवासी अधिकार : आदिवासी समुदायों के भूमि अधिकारों, सामाजिक न्याय एवं सांस्कृतिक संरक्षण के लिए आंदोलन चलाए।
- दिशोम गुरु : संथाली भाषा में ‘दिशोम गुरु’ (महान नेता) का खिताब, क्योंकि उन्होंने आदिवासियों को संगठित कर उनकी आवाज को राष्ट्रीय स्तर पर पहुँचाया।
- सामाजिक चेतना : संथाल नवयुवक संघ और JMM के माध्यम से आदिवासी युवाओं को सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से सशक्त किया।