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आर्मी एविएशन कोर (Army Aviation Corps)

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में, भारतीय सेना की सबसे बाद में गठित आर्मी एविएशन कोर द्वारा 35वाँ स्थापना दिवस मनाया गया है। आर्मी एविएशन कोर भारतीय सेना का एक घटक है, जिसका गठन 1 नवम्बर 1986 को एक अलग संगठन के रूप में किया गया था।

आर्मी एविएशन कोर की भूमिका

  • इसका नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारी द्वारा किया जाता है। साथ ही इसके अन्य अधिकारियों व कर्मियों की भर्ती सेना के विभिन्न अंगो से की जाती है।
  • भारतीय सेना ने विभिन्न समर्पित विमानन इकाईयों, जैसे- परिचालन कोर और कमांड संरचनाओं के साथ आर्मी एविएशन कोर को जोड़कर इसकी भूमिका को और बढ़ा दिया है। वर्तमान में ये कोर चेतक, चीता, लांसर, एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर ध्रुव, ए.एल.एच. इंटीग्रेटेड वेपन सिस्टम (रुद्र भी कहा जाता है) आदि को संचालित करती है।
  • इनके हेलिकॉप्टर सामान्यतः एयरबोर्न कमांड पोस्ट के रूप में कार्य करते हैं, लेकिन ज़रूरत पड़ने पर इन्हें ज़मीनी कमान पोस्ट की जगह उपयोग किया जा सकता है।
  • आर्मी एविएशन कोर के हेलिकॉप्टर शांति काल में मानवीय सहायता पहुँचाने तथा आपदा के समय राहत अभियानों में भी सहयोग प्रदान करते हैं। ये हेलीकॉप्टर मुख्य रूप से सैन्य परीक्षणों, अवलोकन प्रक्रिया, आपदा के समय निकासी, आवश्यक वस्तुओं को ले जाने, युद्धक खोज व बचाव आदि में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • श्रीलंका में ‘ऑपरेशन पवन’ (1987) के दौरान आर्मी एविएशन कोर ने अपनी युद्ध क्षमताओं का जबरदस्त प्रदर्शन किया था, साथ ही पूर्व में सियाचिन ग्लेशियर की अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी इसके जवानों और पायलेटों ने अभूतपूर्व कौशल और समर्पण का प्रदर्शन किया है।

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