विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की स्टेट ऑफ क्लाइमेट इन एशिया, 2024 रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024 एशिया का सबसे गर्म या दूसरा सबसे गर्म वर्ष रहा है। इस दौरान औसत तापमान विगत 30 वर्षों के औसत से 1.04 डिग्री सेल्सियस अधिक है जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2024 में चरम मौसमी घटनाओं का भारत सहित पूरे क्षेत्र पर व्यापक प्रभाव पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह महाद्वीप वैश्विक औसत से लगभग दोगुनी गति से गर्म हो रहा है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
तापमान में वृद्धि
- 1991-2024 के बीच तापमान वृद्धि की दर 1961-1990 की अवधि की तुलना में लगभग दोगुनी रही।
- पश्चिमी चीन से जापान, इंडोचाइना प्रायद्वीप, मध्य पूर्व और मध्य-उत्तरी साइबेरिया में औसत से अधिक तापमान दर्ज किया गया।
- वर्ष 2023 के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए जापान में वर्ष 2024 को सबसे गर्म वर्ष अनुभव किया गया।
चरम मौसमी घटनाएँ
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात : वर्ष 2024 में एशिया में 29 उष्णकटिबंधीय चक्रवात आए। इनमें सबसे घातक चक्रवात यागी था, जिसने फिलीपींस, वियतनाम, हांगकांग, मकाऊ, चीन, लाओस, थाईलैंड और म्यांमार को प्रभावित किया।
- भारत में चक्रवात : भारत में तीन चक्रवातों (रेमल, फेंगल, दाना) में लगभग 90 लोगों की मौत हुई, जबकि अरब सागर से उत्पन्न चक्रवात असना से गुजरात में बाढ़ आई और लगभग 50 लोगों की मौत हुई।
- आकाशीय बिजली : भारत में बिजली गिरने की घटनाओं से लगभग 1,300 लोगों की मौत हुई।
- मरीन हीटवेब : वर्ष 2024 में मरीन हीटवेब ने लगभग 1.5 करोड़ वर्ग किमी. क्षेत्र को प्रभावित किया। उत्तरी हिंद महासागर, जापान के निकट और येलो व ईस्ट चाइना सागर में इनका प्रभाव विशेष रूप से गंभीर रहा।
हिमनदों का ह्रास
- उच्च पर्वतीय एशिया (हिमालय, पामीर, कराकोरम, हिंदू कुश) में 24 में से 23 हिमनदों में द्रव्यमान ह्रास देखा गया।
- मध्य हिमालय एवं तियान शान में कम बर्फबारी और गर्मी के कारण हिमनदों का ह्रास तेज हुआ। पूर्वी तियान शान में उरुमकी ग्लेशियर नंबर 1 में 1959 के बाद से सबसे नकारात्मक द्रव्यमान संतुलन दर्ज किया गया।
वर्षा में बदलाव
- अरब रेगिस्तान, बलूचिस्तान, म्यांमार के कुछ हिस्सों, जापान के कुछ द्वीपों और साइबेरियाई मैदानों में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई।
- पश्चिमी एशिया में अप्रैल के मध्य में भारी बारिश हुई, जहाँ कुछ क्षेत्रों में दैनिक वर्षा दीर्घकालिक वार्षिक औसत से अधिक थी।
सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव
- मानवीय क्षति : भारत में हीटवेब्स, चक्रवातों और बिजली गिरने की घटनाओं से हजारों लोगों की मौत हुई।
- आर्थिक नुकसान : चक्रवात यागी जैसे मौसमी घटनाओं से अरबों डॉलर का नुकसान हुआ।
- पारिस्थितिकी प्रभाव : हिमनदों के ह्रास और मरीन हीटवेब्स से जल संसाधनों एवं जैव विविधता पर गंभीर प्रभाव पड़ा।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के बारे में
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की शुरुआत वर्ष 1873 में अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) के रूप में हुई थी।
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 1950 में IMO को पुनर्गठित कर विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की स्थापना की गई।
- इसे वर्ष 1951 में संयुक्त राष्ट्र की एक विशेषीकृत एजेंसी घोषित किया गया।
- मुख्यालय : जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड
- इसका नेतृत्व महासचिव (Secretary-General) द्वारा किया जाता है।
- 23 मार्च, 1950 को विश्व मौसम विज्ञान संगठन की स्थापना के उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष 23 मार्च को विश्व मौसम विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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