ओडिशा उच्च न्यायालय ने केंद्र एवं राज्य के शिक्षा अधिकारियों को ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (APAAR) ID बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले सहमति प्रपत्र में बदलाव का निर्देश दिया है। वस्तुतः न्यायालय ने यह सुनिश्चित करने को कहा है कि छात्रों या उनके माता-पिता के पास स्पष्ट रूप से ‘ऑप्ट-आउट’ (मना करने) का विकल्प मौजूद हो।
APAAR ID के बारे में
पूरा नाम: ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (Automated Permanent Academic Account Registry)।
- पहल: यह भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत ‘एक राष्ट्र, एक छात्र आईडी’ की पहल के रूप में शुरू की गई है।
- स्वरूप: यह स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक के प्रत्येक छात्र के लिए एक स्थायी शैक्षणिक पहचान प्रणाली है।
मुख्य विशेषताएँ
- अद्वितीय पहचान: प्रत्येक छात्र को एक अद्वितीय व स्थायी 12-अंकीय ID प्रदान की जाती है जो उनकी पूरी शैक्षणिक यात्रा के दौरान अपरिवर्तित रहती है।
- शैक्षणिक रिकॉर्ड: यह ID छात्र की सभी शैक्षणिक उपलब्धियों, जैसे- डिग्री, छात्रवृत्ति, पुरस्कार एवं अन्य क्रेडिट आदि का एक व्यापक डिजिटल रिकॉर्ड रखती है।
- एकीकरण: यह आधार कार्ड से जुड़ी हुई है और आसान व सुरक्षित पहुँच के लिए डिजीलॉकर में रखी जाती है।
- डिजिटल पासपोर्ट: APAAR ID एक आजीवन शैक्षणिक पासपोर्ट के रूप में कार्य करती है जो छात्र की सभी उपलब्धियों व प्रमाण पत्रों को एक ही डिजिटल स्थान पर समेकित करती है।
APAAR ID के लाभ
- सरल गतिशीलता (Mobility): छात्र कागजी प्रमाणपत्रों पर निर्भर हुए बिना;
- स्कूलों में प्रवेश के लिए आसानी से ट्रांसफर ले सकते हैं,
- पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन कर सकते हैं, और
- प्रवेश या नौकरियों के लिए दस्तावेज जमा कर सकते हैं।
- क्रेडिट हस्तांतरण: यह अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (ABC) ढाँचे के अंतर्गत विभिन्न शिक्षण संस्थानों के बीच क्रेडिट्स के निर्बाध हस्तांतरण में सहायता करती है।
- सुरक्षित डिजिटल संग्रहण: डिजी लॉकर के साथ जुड़े होने के कारण छात्र अपने शैक्षणिक प्रमाणपत्रों को सुरक्षित रूप से डिजिटल रूप में संग्रहीत एवं एक्सेस कर सकते हैं।
- आजीवन रिकॉर्ड: यह स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक की शैक्षणिक उपलब्धियों, कौशल एवं पाठ्येत्तर गतिविधियों का एक संपूर्ण रिकॉर्ड बनाए रखती है।
निष्कर्ष
यह प्रणाली छात्रों के लिए शैक्षणिक सत्यापन और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को तेज और आसान बनाने का लक्ष्य रखती है, लेकिन उच्च न्यायालय ने इसे वैकल्पिक रखने के महत्व पर जोर दिया है।