भारतीय प्रधानमंत्री ने हाल ही में इथियोपिया की राजधानी अदिस अबाबा स्थित अड़वा विजय स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर वर्ष 1896 के अड़वा युद्ध में इथियोपिया की ऐतिहासिक विजय को सम्मानपूर्वक स्मरण किया। यह युद्ध अफ्रीका के औपनिवेशिक इतिहास में स्वतंत्रता एवं आत्मसम्मान का प्रतीक माना जाता है।
अड़वा का युद्ध : औपनिवेशिक इतिहास में ऐतिहासिक मोड़
- 1 मार्च, 1896 को इथियोपिया के अड़वा क्षेत्र के निकट यह निर्णायक युद्ध इथियोपियाई साम्राज्य (जिसे उस समय अबीसीनिया कहा जाता था) और इटली के बीच लड़ा गया।
- यह संघर्ष प्रथम इतालवी–इथियोपियाई युद्ध (1895–1896) की अंतिम व सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई थी। इस युद्ध की जड़ें इटली की उस महत्वाकांक्षा में थीं, जिसके तहत वह अफ्रीका में अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहता था।
- यह प्रयास यूरोपीय शक्तियों के बीच चल रही ‘अफ्रीका के लिए होड़’ का हिस्सा था, जिसमें कई देश महाद्वीप पर उपनिवेश स्थापित करने की प्रतिस्पर्धा में लगे हुए थे।
- अड़वा की जीत को विशेष महत्व इसलिए प्राप्त है क्योंकि यह औपनिवेशिक काल में किसी अफ्रीकी सेना द्वारा किसी यूरोपीय शक्ति पर मिली पहली बड़ी और निर्णायक विजय थी। इसने पूरे अफ्रीका में उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष कर रहे लोगों को प्रेरणा दी।
बाद की घटनाएं और दूसरा संघर्ष
- हालाँकि अड़वा की जीत के बावजूद इटली ने इथियोपिया पर नियंत्रण स्थापित करने की अपनी आकांक्षा नहीं छोड़ी। वर्ष 1935 में इतालवी तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी ने एक बार फिर इथियोपिया पर आक्रमण किया, जिससे द्वितीय इतालवी–इथियोपियाई युद्ध की शुरुआत हुई।
- इस दूसरे संघर्ष के शुरुआती चरण में इथियोपिया ने लगभग अकेले ही इतालवी सेनाओं का सामना किया। हालांकि, उसे संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों से आए फासीवाद विरोधी स्वयंसेवकों का सीमित समर्थन प्राप्त हुआ।
इथियोपिया की मुक्ति
वर्ष 1940 में इटली ने ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ युद्ध की घोषणा की। इसके बाद ब्रिटिश सेनाओं ने इथियोपियाई बलों का साथ दिया और 1941 में इटली की सेनाओं को इथियोपिया से बाहर निकाल दिया गया, जिससे देश की स्वतंत्रता पुनः स्थापित हुई।