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एक्रॉस योजना के लाभकारी पहलू

(प्रारंभिक परीक्षा- पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप, आपदा और आपदा प्रबंधन)

संदर्भ

हाल ही में, प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने ‘वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडलिंग प्रेक्षण प्रणाली एवं सेवाएँ’ (Atmosphere & Climate Research-Modelling Observing Systems & Services – ACROSS) नामक एक अंब्रेला योजना को जारी रखने की मंजूरी दी है।

एक्रोस योजना

  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की इस अंब्रेला योजना में कुल आठ उप-योजनाएँ शामिल हैं। इसे अगले पाँच वर्षों तक अर्थात् वर्ष 2021 से 2026 की अवधि तक बढ़ा दिया गया है। इसकी कुल अनुमानित लागत 2,135 करोड़ रुपए आँकी गई है।
  • एक्रॉस योजना पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के ‘वायुमंडलीय विज्ञान कार्यक्रमों’ से संबंधित है। यह योजना मौसम एवं जलवायु से जुड़ी सेवाओं के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करती है। 
  • इन सभी पहलुओं को ‘एक्रॉस योजना’ के तहत आने वाली समस्त आठ उप-योजनाओं में शामिल किया गया है। इनका कार्यान्वयन निम्नलिखित चार संस्थान संयुक्त रूप से करते हैं–
    1. भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department : IMD)
    2. राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (National Centre for Medium Range Weather Forecasting : NCMRWF)
    3. भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Tropical Meteorology : IITM)
    4. भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (Indian National Centre for Ocean Information Services : INCOIS

    उप-योजनाएँ व संबंधित संस्थान

    ‘एक्रॉस योजना’ में शामिल सभी आठों उप-योजनाएँ बहुआयामी प्रकृति की हैं। ये सभी आठों उप-योजनाएँ व इन्हें क्रियान्वित करने वाले संस्थान निम्नानुसार हैं–

    क्रम सं.

    उप-योजनाएँ

    संबंधित संस्थान

    1.

    पॉलैरिमेट्रिक डॉपलर मौसम रडार की स्थापना

    आई.एम.डी.

    2.

    पूर्वानुमान प्रणाली का उन्नयन

    आई.एम.डी.

    3.

    मौसम एवं जलवायु से जुड़ी सेवाएँ

    आई.एम.डी.

    4.

    वायुमंडलीय प्रेक्षण नेटवर्क

    आई.एम.डी.

    5.

    मौसम एवं जलवायु की संख्यात्मक मॉडलिंग

    एन.सी.एम.आर.डब्ल्यू.एफ.

    6.

    मानसून मिशन-III

    आई.एम.डी., आई.आई.टी.एम., एन.सी.एम.आर.डब्ल्यू.एफ. और आई.एन.सी.ओ.आई.एस.

    7.

    मानसून संवहन, बादल और जलवायु परिवर्तन

    आई.आई.टी.एम., एन.सी.एम.आर.डब्ल्यू.एफ. और आई.एम.डी.

    8.

    उच्च प्रदर्शन वाली कंप्यूटिंग प्रणाली

    आई.आई.टी.एम. और एन.सी.एम.आर.डब्ल्यू.एफ.

    प्रमुख लाभ

    • यह योजना मौसम, जलवायु एवं समुद्र के बारे में सटीक पूर्वानुमान एवं जोखिम संबंधी सूचनाएँ प्रदान करेगी। वस्तुतः इस योजना के माध्यम से अंतिम उपभोक्ताओं को कृषि, विमानन, पर्यावरण निगरानी, वर्षण, जलवायु आदि विभिन्न क्षेत्रों में सेवाएँ प्रदान की जा सकेंगी।
    • इसके अतिरिक्त, पर्यटन, तीर्थयात्रा, बिजली उत्पादन, जल प्रबंधन, खेल इत्यादि क्षेत्र भी इस योजना से लाभान्वित होंगे।
    • पूर्वानुमान से जुड़ी सूचनाएँ तैयार करने और उनका वितरण करने की पूरी प्रक्रिया में बड़ी श्रमशक्ति की आवश्यकता होती है और इससे रोज़गार सृजन को भी बढ़ावा मिलता है।
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