चर्चा में क्यों ?
तेलंगाना के कोमाराम भीम,आसिफाबाद जिले के कागज़नगर वन प्रभाग में रंग-बिरंगे और दुर्लभ कवकों (मशरूम) की एक असाधारण बाढ़ देखी गई है।

प्रमुख बिंदु:
- इनमें सबसे उल्लेखनीय है ब्लू पिंकगिल मशरूम है
- यह न्यूज़ीलैंड की मूल प्रजाति है और अब भारत में पहली बार तेलंगाना में पाई गई है।
- साथ ही शटलकॉक मशरूम का पूर्वी घाट क्षेत्र में पहली बार दर्ज होना भी बड़ी खोज मानी जा रही है।
- यह घटना तेलंगाना के जंगलों की जैव विविधता और पारिस्थितिक विशिष्टता को दर्शाती है।
ब्लू पिंकगिल मशरूम की विशेषताएँ
- इसे आसमानी नीला मशरूम भी कहा जाता है।
- इसकी टोपी और तना चमकीले नीले रंग के होते हैं,जो कवकों में दुर्लभ 'अज़ुलीन' वर्णक के कारण संभव होता है।
- गलफड़े गुलाबी से बैंगनी रंग के होते हैं।
- बीजाणु गुलाबी से लेकर सैल्मन रंग के प्रिंट बनाते हैं।
- इसकी टोपी चपटी से लेकर कीप के आकार की होती है।
प्राकृतिक आवास और वितरण
- ब्लू पिंकगिल मूल रूप से न्यूज़ीलैंड की चौड़ी पत्ती वाले जंगलों का निवासी है।
- यह नमी युक्त और पत्तियों से समृद्ध मिट्टी में विशेष रूप से मानसून के दौरान पाया जाता है।
- तेलंगाना में इसकी उपस्थिति स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र की अनूठी परिस्थितियों का संकेत देती है।
शटलकॉक मशरूम और पारिस्थितिक महत्व
- शटलकॉक मशरूम की खोज पूर्वी घाटों में पहली बार हुई है,जो पारंपरिक आवासीय मान्यताओं को चुनौती देती है।
- यह पूर्वी और पश्चिमी घाटों के बीच पारिस्थितिक संबंधों को समझने में मदद करती है।
- तेलंगाना के जंगलों की कवक विविधता में इस प्रकार के निष्कर्ष वन्यजीव और पारिस्थितिक संरक्षण के महत्व को बढ़ाते हैं।
प्रश्न. ब्लू पिंकगिल मशरूम मूलतः किस देश की मूल प्रजाति है ?
(a) भारत
(b) न्यूज़ीलैंड
(c) ऑस्ट्रेलिया
(d) दक्षिण अफ्रीका
|