डेविड स्ज़ाले (David Szalay) ने अपने उपन्यास ‘फ्लेश’ (Flesh) के लिए 2025 का बुकर पुरस्कार जीता है और अंग्रेजी भाषी दुनिया में शीर्ष पुरस्कारों में से एक जीतने वाले पहले हंगेरियन-ब्रिटिश लेखक बन गए।
बुकर पुरस्कार के बारे में
- यह एकल कथा साहित्य के लिए दिया जाने वाला विश्व का अग्रणी साहित्यिक पुरस्कार है। इसकी स्थापना 1969 में ब्रिटेन में हुई थी।
- बुकर पुरस्कार से शुरुआत में राष्ट्रमंडल लेखकों को पुरस्कृत किया जाता था और अब यह पूरे विश्व के लिए है अर्थात यह किसी भी मूल के व्यक्ति के लिए खुला है।
- इसका उद्देश्य अंग्रेजी में लिखे गए वर्ष के सर्वश्रेष्ठ उपन्यास को पुरस्कृत करके उपन्यास जगत की सर्वश्रेष्ठ कृतियों को बढ़ावा देना है।
बुकर पुरस्कार के लिए पात्रता
- बुकर पुरस्कार मूलतः अंग्रेजी में लिखे गए तथा पुरस्कार वर्ष में यू.के. एवं आयरलैंड में प्रकाशित किसी भी उपन्यास को दिया जाता है, चाहे उसके लेखक की राष्ट्रीयता कुछ भी हो।
- वह उपन्यास अंग्रेजी में एक मौलिक रचना होनी चाहिए, न की अनुवाद।
- इसे किसी पंजीकृत यू.के. या आयरिश प्रकाशक (Imprint) द्वारा प्रकाशित किया जाना चाहिए। स्व-प्रकाशित उपन्यास इसके लिए पात्र नहीं हैं।
- इसके विजेता को 50,000 पाउंड तथा प्रत्येक शॉर्टलिस्ट लेखक को 2,500 पाउंड प्रदान किए जाते हैं।
भारत एवं भारतीय मूल के बुकर पुरस्कार विजेता
- ‘फ्री स्टेट’ के लिए बनाम नायपॉल को
- ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रन’ के लिए सलमान रुश्दी को
- ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ के लिए अरुंधति रॉय को
- ‘द इनहेरिटेंस ऑफ लॉस’ के लिए किरण देसाई को
- ‘द व्हाइट टाइगर’ के लिए अरविंद अडिगा को
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इसे भी जानिए!
बानू मुश्ताक को ‘हार्ट लैंप’ के लिए अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2025 मिला है। कन्नड़ भाषा की इस लघु कथा संग्रह का अंग्रेजी में अनुवाद दीपा भस्थी ने किया है। इसके लिए लेखक एवं अनुवादक दोनों को पुरस्कार स्वरूप 50,000 पाउंड की पुरस्कार राशि प्रदान की गयी है।
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