New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 19th Jan. 2026, 11:30 AM New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 09th Jan. 2026, 11:00 AM New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Delhi : 19th Jan. 2026, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 09th Jan. 2026, 11:00 AM

कार्बन अपटेक रिपोर्ट

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, पर्यावरणीय पारिस्थितिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि; संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ 

हाल ही में, राष्ट्रीय सीमेंट एवं भवन निर्माण सामग्री परिषद (NCB) के 63वें स्थापना दिवस के अवसर ग्लोबल सीमेंट एंड कंक्रीट एसोसिएशन (GCCA) इंडिया- एनसीबी ‘कार्बन अपटेक रिपोर्ट’ सार्वजनिक की गई। 

प्रमुख बिंदु 

  • यह रिपोर्ट एन.सी.बी. और ग्लोबल सीमेंट एंड कंक्रीट एसोसिएशन (GCCA), इंडिया के संयुक्त प्रयास से तैयार की गई है और आई.वी.एल. स्वीडिश पर्यावरण अनुसंधान संस्थान की टियर-1 पद्धति पर आधारित है। 
  • इसमें बताया गया है कि सीमेंट उद्योग कुल मानवजनित उत्सर्जन में लगभग 7% का योगदान देता है और चूना पत्थर के कैल्सीनेशन से उत्पन्न प्रक्रिया-संबंधी कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन के कारण इसे एक ऐसा सेक्टर माना जाता है जिसमें कमी लाना कठिन है। 

GCCA इंडिया–एन.सी.बी. कार्बन अपटेक रिपोर्ट के बारे में 

पृष्ठभूमि 

  • यह रिपोर्ट भारतीय सीमेंट उद्योग के डीकार्बोनाइजेशन प्रयासों में कंक्रीट की कार्बन अवशोषण (Recarbonation) प्रक्रिया की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है। यह रिपोर्ट सीमेंट क्षेत्र को ‘हार्ड-टू-एबेट’ मानते हुए भी भारत के 2070 तक नेट-जीरो CO₂ उत्सर्जन लक्ष्य की प्राप्ति को व्यवहार्य बताती है।
    • कंक्रीट में रिकर्बोनेशन हाइड्रेटेड सीमेंट द्वारा वायुमंडलीय CO2 का प्राकृतिक या उन्नत पुन:अवशोषण है जो कार्बन को अलग करने और सामग्री के गुणों को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

मुख्य निष्कर्ष एवं आंकड़े

  • भारतीय सीमेंट उद्योग विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है जो वैश्विक उत्पादन में 10.4% योगदान देता है। वर्ष 2024-25 में इसकी स्थापित क्षमता 690 मिलियन टन तथा उत्पादन 453 मिलियन टन रही।
  • सीमेंट का प्रति व्यक्ति उपभोग 290 किग्रा. है जो वैश्विक औसत (540 किग्रा.) से काफी कम है जिससे भविष्य में मांग वृद्धि की संभावना है।
  • यह उद्योग टियर-1 शहरों में भारत के कुल CO₂ उत्सर्जन के लगभग 6.3% के लिए ज़िम्मेदार है जो मुख्यतः लाइमस्टोन कैल्सिनेशन से उत्पन्न प्रक्रिया उत्सर्जन के कारण होता है।

उत्सर्जन में कमी की प्रगति

  • वर्ष 1996 में CO₂ उत्सर्जन फैक्टर 1.12 टन CO₂/टन सीमेंट था, जो 2010 में 0.719 टन तथा 2020 में 0.670 टन तक कम हो गया।
  • GCCA इंडिया–TERI डीकार्बोनाइजेशन रोडमैप के अनुसार, वर्ष 2047 तक इसे 0.51 टन तक तथा 2070 तक नेट-जीरो तक ले जाने का लक्ष्य है।
  • ब्लेंडेड सीमेंट का उत्पादन 1996-97 के 30% से बढ़कर वर्तमान में 69% हो गया है जिसमें पॉजोलाना पोर्टलैंड सीमेंट (PPC) का हिस्सा 19% से बढ़कर 60% तथा ऑर्डिनरी पोर्टलैंड सीमेंट (OPC) का हिस्सा 27-31% स्थिर रहा है।

कार्बन अपटेक (Recarbonation) की भूमिका

  • कंक्रीट में प्राकृतिक कार्बन अपटेक प्रक्रिया (CO₂ का पुनः अवशोषण) एक निष्क्रिय कार्बन सिंक के रूप में कार्य करती है।
  • यह प्रक्रिया सीमेंट हाइड्रेशन के उप-उत्पाद कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड तथा कैल्शियम सिलिकेट हाइड्रेट्स के साथ CO₂ की प्रतिक्रिया से स्थायी कैल्शियम कार्बोनेट बनाती है।
  • अपटेक की दर कंक्रीट की छिद्रता, पारगम्यता, जलवायु, सीमेंट संरचना एवं संरचना ज्यामिति पर निर्भर करती है जो प्रारंभिक चरण में तीव्र तथा बाद में मंद होती है।
  • इस रिपोर्ट का अनुमान है कि वर्ष 2070 तक कार्बन अपटेक से 91 मिलियन टन CO₂ की कमी संभव है जो नेट-जीरो लक्ष्य में महत्वपूर्ण योगदान देगी।

डीकार्बोनाइजेशन की रणनीतियाँ

क्लिंकर अनुपात में कमी, ऊर्जा दक्षता वृद्धि, वैकल्पिक ईंधन उपयोग, नए बाइंडर्स का विकास तथा कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज (CCUS) प्रौद्योगिकियों का प्रसार

अन्य तथ्य 

  • यह रिपोर्ट जोर देती है कि ऊर्जा दक्षता, ब्लेंडेड सीमेंट, कार्बन अपटेक तथा नीतिगत सहयोग से वर्ष 2070 तक नेट-जीरो प्राप्ति संभव है।
  • सीमेंट मांग के बढ़ने (2070 तक 2.28 बिलियन टन तक) के बावजूद, उद्योग, अनुसंधान संस्थानों एवं नीति-निर्माताओं के सहयोग से सतत निर्माण संभव है। 

राष्ट्रीय सीमेंट एवं भवन निर्माण सामग्री परिषद (NCB) के बारे में 

  • राष्ट्रीय सीमेंट एवं भवन निर्माण सामग्री परिषद की स्थापना वर्ष 1962 में एक शीर्ष स्तर के अनुसंधान व विकास संस्थान के रूप में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य सीमेंट और अन्य निर्माण सामग्रियों से जुड़े व्यापार एवं उद्योग में वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देना है।
  • यह संस्था भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करती है। एन.सी.बी. का कॉर्पोरेट मुख्यालय और प्रमुख प्रयोगशालाएँ हरियाणा के बल्लभगढ़ (नई दिल्ली के समीप) में स्थित हैं। 
  • इसके अतिरिक्त इसका एक सुदृढ़ क्षेत्रीय केंद्र हैदराबाद में है जबकि अहमदाबाद (गुजरात) और भुवनेश्वर में भी इसके केंद्र कार्यरत हैं। 

एन.सी.बी. के प्रमुख कार्य 

  • एन.सी.बी. का कार्यक्षेत्र सीमेंट के उत्पादन से लेकर उसके उपयोग तक पूरे मूल्य श्रृंखला को समाहित करता है। यह संस्था सीमेंट उद्योग के विकास, विस्तार एवं आधुनिकीकरण से जुड़ी नीतियों और योजनाओं के निर्माण में सरकार को तकनीकी व वैज्ञानिक सहयोग प्रदान करती है।
  • नीति-निर्धारण और योजना प्रक्रियाओं में सरकार के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करती है। देशभर में सीमेंट व कंक्रीट के उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास करती है।  
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR