भारत में वर्ष 2023 में लगभग 4.80 लाख सड़क दुर्घटनाएँ (रोड एक्सीडेंट) हुईं जिनमें 1.72 लाख लोगों की मौत हुई। इसको ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 5 मई, 2025 से ‘सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार योजना’ की अधिसूचना जारी की है जो ‘गोल्डन ऑवर’ में उपचार सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
योजना की पृष्ठभूमि एवं कानूनी आधार
- यह योजना मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 162(2) के तहत केंद्र सरकार की बाध्यता को पूरा करती है जिसमें ‘गोल्डन ऑवर’ के भीतर सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार की योजना बनाने का प्रावधान है।
- गोल्डन ऑवर : अधिनियम की धारा 2(12ए) में गोल्डन ऑवर को दुर्घटना के बाद एक घंटे की अवधि के रूप में परिभाषित किया गया है, जब त्वरित उपचार से पीड़ित की मृत्यु को रोकने की संभावना सर्वाधिक होती है।
- मार्च 2025 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सरकार पर कड़ी टिप्पणी के बाद इस योजना को अधिसूचित किया गया।
योजना के बारे में
- परिचय : यह योजना सभी नागरिकों के लिए है, चाहे वे बीमाधारक हों या न हों। इसका उद्देश्य त्वरित एवं बिना भुगतान के उपचार सुनिश्चित करना है।
- योजना का नाम : कैशलेस ट्रीटमेंट ऑफ रोड एक्सीडेंट विक्टिम्स स्कीम, 2025
- मंत्रालय : सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय
- लागू तिथि : 5 मई, 2025 से देशभर में प्रभावी
- लाभ : प्रति व्यक्ति प्रति दुर्घटना ₹1.5 लाख तक का कैशलेस उपचार
- अवधि : दुर्घटना की तारीख से 7 दिन तक उपचार की सुविधा
प्रशासनिक व्यवस्था एवं क्रियान्वयन तंत्र
इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए एक बहु-स्तरीय प्रशासनिक ढाँचा विकसित किया गया है:
- राष्ट्रीय स्तर पर
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) को योजना के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी दी गई है।
- स्टीयरिंग कमेटी का गठन किया गया है जिसकी अध्यक्षता MoRTH सचिव करेंगे।
- राज्य स्तर पर
- राज्य सड़क सुरक्षा परिषद को नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है, जो-
- राज्य स्वास्थ्य एजेंसी के साथ समन्वय करेगी।
- अस्पतालों को योजना में पंजीकृत करेगी।
- उपचार के बाद भुगतान प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी।
- अस्पतालों के भुगतान की प्रक्रिया
- उपचार के उपरांत अस्पताल डिजिटल पोर्टल पर दावा प्रस्तुत करेंगे।
- राज्य स्वास्थ्य एजेंसी दावे की समीक्षा कर स्वीकृति या अस्वीकृति प्रदान करेगी।