New
The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June.

चालुक्य युगीन कन्नड अभिलेख

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय घटनाक्रम, भारत का इतिहास)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1 : भारतीय विरासत और संस्कृति : भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य एवं वास्तुकला के मुख्य पहलू)

संदर्भ 

हाल ही में, तेलंगाना के विकाराबाद जिले में पहली बार तीन दुर्लभ कल्याण चालुक्य युगीन कन्नड़ शिलालेखों की पहचान की गई है।

Chalukya-era

अभिलेखों के बारे में 

  • खोज स्थल : तेलंगाना के विकाराबाद जिले में पुदुर मंडल का कंकल गांव
  • समयावधि : ये शिलालेख 1129 ई., 1130 ई. एवं 1132 ई. के हैं जब कल्याणी के चालुक्य वंश के सम्राट सोमेश्वर-III भूलोकमल्लदेव का शासन था।
  • अभिलेखों के विषय 
    • पहले शिलालेख में बिज्जेश्वर मंदिर के निर्माण, एक शिवलिंग की प्रतिष्ठा और कंकल गांव के एक स्थानीय मुखिया बिज्जरासा द्वारा 100 मार्टार (तत्कालीन भूमि माप) भूमि दान का उल्लेख है। 
    • दूसरे शिलालेख में सोमीदेव प्रेग्गदा, स्थानीय चौधरी (प्रमुख) एवं करणाम बिज्जरासा द्वारा बिज्जेश्वर मंदिर को कुछ भूमि व नकदी के दान का उल्लेख है। 
    • तीसरे शिलालेख में सोमापरमनाडी, चौधरी गुंडारासा, बेम्मीनायक, नभनायक एवं बिलनायक द्वारा मंदिर को दिए गए दान का उल्लेख है।

कल्याणी के चालुक्य राजवंश के बारे में

  • अन्य नाम : कल्याणी के चालुक्यों को पश्चिमी चालुक्यों के नाम से भी जाना जाता है। 
  • स्थापना : कल्याणी के चालुक्यों की स्थापना राष्ट्रकूट के सामंत तैलप-II या तैल-द्वितीय द्वारा की गई थी। 
  • शासन काल : 10वीं से 12वीं शताब्दी तक
  • राजधानी : कल्याणी (कर्नाटक) 
  • भाषा : कन्नड एवं संस्कृत 
  • प्रमुख शासक : तैलप प्रथम, तैलप द्वितीय, विक्रमादित्य, जयसिंह, सोमेश्वर, सोमेश्वर-II, विक्रमादित्य-VI, सोमेश्वर-III एवं तैलप-III
    • विल्हण एवं विज्ञानेश्वर विक्रमादित्य-VI के दरबार में ही रहते थे।
  • स्थापत्यकला : पश्चिमी चालुक्य वंश का शासनकाल दक्कन वास्तुकला के विकास का एक महत्वपूर्ण काल ​​था। इस दौरान निम्नलिखित स्थापत्य का निर्माण करवाया गया-
    • हावेरी में सिद्धेश्वर मंदिर 
    • लक्कुंडी (गडग जिला) में काशी विश्वेश्वर मंदिर
    • डंबल (गडग जिला) में डोड्डा बसप्पा मंदिर
    • बेल्लारी में मल्लिकार्जुन मंदिर 
    • दावणगेरे में कल्लेश्वर मंदिर 
    • अन्निगेरी (धारवाड़ जिला) में अमृतेश्वर मंदिर 
    • इतागी (कोप्पल जिला) में महादेव मंदिर
    • कुबातुर में कैताभेश्वर मंदिर 
    • केदारेश्वर बल्लीगावी में मंदिर 
  • सीढ़ीदार कुएँ : कल्याणी के चालुक्य अलंकृत सीढ़ीदार कुओं के निर्माण के लिए भी जाने जाते हैं। 
    • ये कुएँ आनुष्ठानिक स्नान स्थल के रूप में उपयोग किए जाते थे।
  • साहित्य एवं कला : इस अवधि के दौरान संस्कृत एवं कन्नड़ साहित्य का विकास हुआ। उल्लेखनीय विद्वानों में विज्ञानेशवर, रन्न, व्याकरणविद नागवर्मा द्वितीय, दुर्गसिंह एवं वीरशैव संत तथा समाज सुधारक बसवन्ना आदि शामिल थे। 
    • इस समयावधि में धर्मनिरपेक्ष साहित्य के क्षेत्र में चिकित्सा, शब्दकोश, गणित, ज्योतिष, विश्वकोश आदि जैसे विषयों पर रचनाएँ हुई थी।

इन्हें भी जानिए!

  • मिताक्षरा : मिताक्षरा याज्ञवल्क्य स्मृति पर आधारित एक हिंदू विधि ग्रंथ है। यह ग्रंथ ‘जन्म आधारित उत्तराधिकार’ (Inheritance by Birth) के सिद्धान्त के लिए प्रसिद्ध है। मिताक्षरा के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को जन्म से ही अपने पिता की संयुक्त परिवार सम्पत्ति में हिस्सेदारी हासिल हो जाती है। 
  • इसकी रचना प्रसिद्ध विधिवेत्ता एवं कवि विज्ञानेश्वर ने की।   
  • विज्ञानेश्वर, कल्याणी के चालुक्य शासक विक्रमादित्य षष्ठ के प्रमुख दरबारी कवि थे।
  • विक्रमांकदेव चरित : बिल्हण द्वारा विक्रमांकदेव चरित की रचना संस्कृत में की गई। 
  • यह 18 सर्गों वाला एक महाकाव्य है जिसमें राजा विक्रमादित्य VI के जीवन एवं उपलब्धियों का वर्णन है।
  • सिद्धांत सिरोमणि : इसी समय भारतीय गणितज्ञ भास्कर द्वितीय द्वारा सिद्धांत सिरोमणि की रचना की गई। यह संस्कृत में रचित गणित और खगोल शास्त्र का एक प्राचीन ग्रंथ है। 
  • इसके चार भाग हैं: लीलावती (अंकगणित का विवेचन), बीजगणित, ग्रहगणिताध्याय एवं गोलाध्याय 
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR