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विविधता, समता एवं समावेशन नीतियों में बदलाव

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, लोकनीति, अधिकारों संबंधी मुद्दे इत्यादि)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : सामाजिक सशक्तीकरण, संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद और धर्मनिरपेक्षता)

संदर्भ

डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा शुरू की गई विविधता, समता एवं समावेशन (Diversity, Equity and Inclusion: DEI) नीतियों को समाप्त करने की घोषणा की है।

क्या है DEI नीति 

  • DEI उन नीतियों को संदर्भित करता है जो सभी के लिए निष्पक्ष व्यवहार एवं पूर्ण भागीदारी को बढ़ावा देने का प्रयास करती हैं। 
  • यह विशेष रूप से ऐसे समूहों को लक्षित करती है जिनका प्रतिनिधित्व ऐतिहासिक रूप कम है या जिन्हें पहचान या दिव्यांगता के आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ा है।
  • जून 2021 में जो बिडेन ने ‘संघीय कार्यबल में विविधता, समानता, समावेश एवं पहुंच’ शीर्षक से एक कार्यकारी आदेश पारित किया जिसमें इन शब्दों को इस प्रकार परिभाषित किया गया था :
    • विविधता : अमेरिकी लोगों के अनेक समुदाय, पहचान, नस्ल, जातीयता, पृष्ठभूमि, योग्यता, संस्कृति एवं विश्वास को शामिल करने की प्रथा है जिसमें वंचित समुदाय भी शामिल हैं।
    • समता : सभी व्यक्तियों के साथ सुसंगत तथा निष्पक्ष, न्यायसंगत व पक्षपात रहित व्यवहार जिसमें ऐसे वंचित समुदायों के व्यक्ति भी शामिल हैं जिन्हें ऐसे व्यवहार से वंचित रखा गया है।
    • समावेशन : सभी पृष्ठभूमि के कर्मचारियों की प्रतिभा एवं कौशल की पहचान तथा उनकी सराहना एवं उपयोग करना।
  • अमेरिकी प्रशासन द्वारा DEI कार्यक्रमों को खत्म करने वाले कार्यकारी आदेश का प्रभाव  अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में कार्यरत भारतीयों पर भी पड़ने की संभावना है।
  • इस नीति में बदलाव का प्रमुख कारण अमेरिकी श्वेत नागरिकों के प्रति भेदभाव और कार्यक्षमता व कुशलता पर प्रभाव को माना जा रहा है।

भारत में DEI नीति

  • वर्तमान में भारत में DEI के लिए किसी व्यवस्थित दृष्टिकोण का पालन नहीं किया जाता है। हालाँकि, सकारात्मक कार्रवाई एवं सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देने और जाति व्यवस्था से उत्पन्न असमानता एवं भेदभाव को समाप्त करने के उद्देश्य से नीतियाँ लंबे समय से मौजूद हैं।
  • संविधान ने वर्ष 1950 में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के रूप में पहचाने जाने वाले समुदायों के लिए आरक्षण अनिवार्य कर दिया था। 
  • वर्ष 1990 में मंडल आयोग ने अन्य पिछड़े समुदायों के लिए आरक्षण की सिफारिश की। 
  • संविधान के अनुच्छेद 16 के तहत राज्य सार्वजनिक रोजगार में लोगों के साथ उनके धर्म, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता है।
  • भारत में DEI के लिए कंपनियों द्वारा किए जाने वाले प्रयास मुख्यत: #MeToo या धारा 377 के तहत समलैंगिकता के गैर-अपराधीकरण जैसे आंदोलनों में सार्वजनिक रुचि पर आधारित रहे हैं।
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