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चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस स्टेशन

(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस स्टेशन, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:2 - केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय)

संदर्भ

  • केरल सरकार द्वारा राज्य में, लगभग 150 चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस स्टेशन स्थापित करने का निर्णय लिया गया है।
  • इससे पहले, इस तरह के पुलिस स्टेशन, उत्तराखंड, ओडिशा, राजस्थान , महाराष्ट्र  तथा हरियाणा जैसे राज्यों में भी स्थापित किये जा चुके है। 
  • इस तरह के उपायों का उद्देश्य, पुलिस थानों में न्याय की मांग करने वाले बच्चों के डर और मानसिक दबाव को कम करना है।

महत्वपूर्ण तथ्य 

  • चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस स्टेशन, का मुख्य उद्देश्य बच्चों को बिना किसी डर के पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने में अधिक सहज बनाना है। 
  • चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस स्टेशन में किताबें और खिलौने होते हैं, और यह बच्चों के चरित्र निर्माण की दिशा में भी कार्य करेगा।
  • इन पुलिस स्टेशनों में सही माहौल के साथ आवश्यक बुनियादी ढाँचा तैयार किया गया है, जो बच्चों के अनुकूल स्टेशनों में अपने संक्रमण के विभिन्न चरणों में है। 
  • चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस स्टेशनों के प्रबंधन में कार्यरत अधिकारियों में कौशल बढ़ाने और व्यवहार तथा मानसिकता में बदलाव लाने के लिए, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के सहयोग से एक व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया गया है।
  • किसी अपराध के मामले में पकड़े जाने पर 18 साल से कम उम्र के किशोरों एवं बच्चों को भी पहले पुलिस स्टेशन में ले जाया जाता है, और बाद में सुधार गृह या किसी दूसरे संरक्षण गृह में भेजा जाता है।
  • चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस स्टेशन की अवधारणा, सिर्फ पुलिस स्टेशन के भौतिक वातावरण में बदलाव ना होकर, एक नया प्रतिमान स्थापित करने का प्रस्ताव है, जहां यह कई अलग-अलग भूमिकाओं को निभाता है – 
    • बच्चों के अधिकारों का प्रवर्तक।
    • बाल अधिकारों का संरक्षक।
    • बच्चों की देखभाल और सुरक्षा से संबंधित सभी गतिविधियों के लिए एक ज्ञान और संदर्भ केंद्र। 
    • अंतर-एजेंसी भागीदारी और नागरिक समाज की भागीदारी के लिए एक सुविधाकर्ता। 
  • सरकार द्वारा जनसंख्या के अन्य अति संवेदनशील वर्गों (जैसे- महिलाओं, वृद्धों, दलित, आदिवासी, एलजीबीटी) के लिए भी, ऐसे ही सुरक्षात्मक उपाय किये जाने की आवश्यकता है।

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ)

  • संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है, जो दुनिया भर में बच्चों को मानवीय और विकासात्मक सहायता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है। 
  • इसकी स्थापना, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बच्चों को राहत प्रदान करने के लिए 1946 में की गयी थी।
  • 1996 से यूनिसेफ के कार्यक्रमों को बाल अधिकारों पर कन्वेंशन (1989) द्वारा निर्देशित किया गया है, जो सभी बच्चों के स्वास्थ्य के उच्चतम प्राप्य मानक का पालन, और बीमारी के इलाज तथा स्वास्थ्य के पुनर्वास के लिए सुविधाओं की पुष्टि करता है।
  • 192 देशों और क्षेत्रों में उपस्थिति के साथ यूनिसेफ , विश्व के सबसे व्यापक और पहचानने योग्य सामाजिक कल्याण संगठनों में से एक है।
  • यूनिसेफ दुनिया भर में बच्चों से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर शोध रिपोर्ट भी जारी करता है।
  • यूनिसेफ एक कार्यकारी बोर्ड  द्वारा शासित होता है, जिसमें 36 सदस्य होते हैं, जिन्हें  संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद द्वारा तीन वर्ष के कार्यकाल के लिए चुना जाता है ।
  • संयुक्त राष्ट्र बाल कोष को 1965 में शांति का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • यूनिसेफ के साथ साझेदारी के लिए, भारत में नोडल एजेंसी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय है।
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