ओड़िशा की चुक्तिया भुंजिया (Chuktia Bhunjia) जनजाति की 28 वर्षीय जाइमिनी झंकार पीएचडी डिग्री प्राप्त करने वाली इस जनजाति की पहली महिला बनने का गौरव हासिल किया है।
यह उपलब्धि इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस जनजाति की महिलाओं को परंपरागत रूप से सामाजिक एवं सांस्कृतिक सीमाओं के चलते शिक्षा व आधुनिक जीवनशैली तक पहुंच नहीं थी।
चुक्तिया भुंजिया जनजाति के बारे में
यह ओड़िशा में स्थित छोटी एवं कम जानी-पहचानी जनजाति है।
भुंजिया जनजाति प्रोटो-ऑस्ट्रोलॉइड नस्लीय समूह से संबंधित है।
‘भुंजिया’ नाम का अर्थ है ‘जो मिट्टी पर निर्भर होकर जीता है’। यह ‘भूमि’ शब्द से आया है।
भाषा: यह बैगा एवं छत्तीसगढ़ी के मिश्रित बोलियों का उपयोग करते हैं।
उप-समूह:
चुक्तिया भुंजिया : विशेष रूप से संवेदनशील जनजाति (PVTG)
चिंदा भुंजिया : होलवा एवं गोंड मिश्रित वंश
जीवनशैली
महिलाएँ केवल साड़ी पहनती हैं और गहनों में मौली, सिक्के, कांच एवं पीतल की कंगन, पायल, बालियां शामिल हैं।
शरीर एवं हाथों पर टैटू के माध्यम से सजावट की जाती थी। हालाँकि, आधुनिकता के कारण युवा इसे कम अपनाते हैं।
आजीविका
पारंपरिक कृषि और वन आधारित गतिविधियों में संलग्न
औषधीय पौधों और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग
कुछ लोगों द्वारा आधुनिक शिक्षा एवं नौकरी को अपनाना
जनसंख्या
वर्ष 2007 के सर्वे के अनुसार 2,269 लोग (पुरुष 1,124; महिला 1,145)
लैंगिक अनुपात:1,018 महिला प्रति 1,000 पुरुष
साक्षरता दर:18.77% (पुरुष 28.77%; महिला 9.17%)
विकास दर (2001-2007): 3.96%
त्योहार
स्थानीय रीति-रिवाजों और प्राकृतिक देवी-देवताओं (Sunadei) पर आधारित
भोजन और सांस्कृतिक अनुष्ठान में विशेष धार्मिक नियम
पारंपरिक सामूहिक पूजा और त्यौहार में महिलाओं की भागीदारी
PVTG स्थिति
चुक्तिया भुंजिया PVTG सूची में शामिल हैं जो उन्हें विशेष संवैधानिक एवं सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है।
शिक्षा, स्वास्थ्य एवं विकास योजनाओं में प्राथमिकता दी जाती है।