भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का काला दिन

- हर वर्ष 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- यह दिन 1975 में इमरजेंसी (आपातकाल) के दौरान हुए संवैधानिक उल्लंघन और लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की याद दिलाता है।
- 1975 की इसी तारीख को, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश में 18 महीनों का आपातकाल घोषित किया गया था।
तानाशाही के खिलाफ संघर्ष का स्मरण
- इस दिन को मनाने का उद्देश्य उन लाखों नागरिकों को श्रद्धांजलि देना है, जिन्हें बिना अपराध के जेलों में बंद कर दिया गया था, और जिनकी स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आवाज को बेरहमी से कुचल दिया गया था।
- पत्रकारों, नेताओं, शिक्षकों और आम नागरिकों को सरकारी दमन झेलना पड़ा।
सरकार का उद्देश्य: जनमानस को सतर्क करना
- पिछले वर्ष केंद्र सरकार ने 25 जून को आधिकारिक रूप से संविधान हत्या दिवस घोषित किया।
- इसका उद्देश्य है कि भविष्य में कोई भी सत्ता तंत्र नागरिक स्वतंत्रता का दमन न कर सके।
- यह दिन भारतवासियों को यह भी याद दिलाता है कि लोकतंत्र के मूल्यों और नागरिक अधिकारों की रक्षा हर नागरिक का कर्तव्य है।
आपातकाल के दौरान क्या हुआ था?
- मीडिया सेंसरशिप लागू कर दी गई थी
- राजनीतिक विरोधियों को गिरफ्तार किया गया
- न्यायपालिका को कमजोर किया गया
- आधारभूत अधिकारों को निलंबित कर दिया गया
यह सब संविधान की मूल आत्मा के खिलाफ था, जिसे लोकतंत्र, स्वतंत्रता, और न्याय पर आधारित माना जाता है।
लोकतंत्र की अमर ज्योति
- संविधान हत्या दिवस न केवल एक ऐतिहासिक चेतावनी है, बल्कि यह नागरिकों में लोकतांत्रिक चेतना को बनाए रखने और किसी भी तानाशाही प्रवृत्ति को पहचानने की सजगता भी पैदा करता है।
- यह दिन हमें स्वतंत्रता के मूल्य को समझने और उसकी रक्षा के लिए एकजुट होने की प्रेरणा देता है।
प्रश्न :- संविधान हत्या दिवस किस तारीख को मनाया जाता है?
(a) 26 जनवरी
(b) 15 अगस्त
(c) 25 जून
(d) 2 अक्टूबर
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