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कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग: एक अवलोकन

(प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा प्रश्न पत्र-3)

चर्चा में क्यों?

कोविड-19 महामारी के दौरान क्वॉरेंटाइन, आइसोलेशन, सोशल डिस्टेंसिंग व कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग जैसे शब्द चर्चा में रहे हैं। कम्पनियाँ इसके लिये तकनीक विकशित करने में लगी हैं।

पृष्ठभूमि-

एप्पल और गूगल जैसे वैश्विक तकनीकी कम्पनियों ने कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग तकनीक के विकास हेतु भागीदारी की घोषणा की है। यह तकनीक सरकार के साथ-साथ स्वास्थ्य अधिकारियों को भी कोरोना वायरस को रोकने में सहायक होगा। एप्पल और गूगल एक व्यापक समाधान की योजना बना रहे हैं, जिसमें एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (ए.पी.आई.) तथा ऑपरेटिंग सिस्टम-लेबल (ओ.एस.-लेबल) जैसी तकनीक शामिल है।

कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग: परिभाषा और आवश्यकता-

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन किसी बीमार व संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों की पहचान, मूल्यांकन और प्रबंधन की प्रक्रिया के रूप में कांटेक्ट ट्रेसिंग को परिभाषित करता है।
  • यह संक्रमण को रोकने व महामारियों को नियंत्रित करने हेतु आवश्यक है। इससे सरकार को बीमारियों पर काबू पाने तथा लॉकडाउन जैसी स्थितियों में छूट देने में सहायता मिलती है।
  • संक्रमण के लक्षणों की शुरुआत में लोगों की पहचान करने और उन्हें आइसोलेट करने के लिये यह आवश्यक है, जिससे अन्य व्यक्तियों में संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके।
  • कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के माध्यम से संक्रमित व बीमार व्यक्ति के सम्पर्क में आने वाले लोगों को सतर्क किया जाता है तथा उनकी पहचान की जाती है। इससे बीमारी के लक्षणों वाले व्यक्ति को आइसोलेट करने व उपचार में होने वाली देरी को कम करके मृत्यु दर को काफी कम किया जा सकता है।
  • वर्ष 2015 में पश्चिमी अफ्रीका में इबोला महामारी के दौरान भी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग सम्बंधी गाइडलाइन जारी की गई थी।
  • नई तकनीकी कार्य प्रणाली-
  • यह तकनीक आधिकारिक एप्लीकेशन के माध्यम से फोन आधारित मैचिंग के द्वारा कोविड-19 के सम्पर्क में आए लोगों को सतर्क करने में सहायता करेगा। इसके लिये कोविड-19 रोगियों को स्वेच्छापूर्वक सम्बंधित एप्लीकेशन में अपनी स्थिति की घोषणा करनी होगी।
  • इस प्रकार एंड्रॉयड और आई.ओ.एस. आधारित स्मार्टफोन धारक ऐसे सभी व्यक्ति, जो रोगियों के आसपास चिन्हित या पहचाने गए थे, को सूचित किया जा सकेगा। इस प्रकार एक अनजान परंतु कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति के आसपास गए लोगों को भी सूचना मिल सकेगी।
  • अगले चरण में ब्लूटूथ आधारित कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग एंड्रॉयड व आई.ओ.एस. प्लेटफार्म पर बनाया जाएगा और उपयोगकर्ता बिना एप डाउनलोड किये इस सुविधा का उपयोग करने में सक्षम होंगे। चूँकि गूगल और एप्पल क्रमशः एंड्रॉयड तथा आई.ओ.एस. प्लेटफॉर्म के डेवलपर्स हैं, जिससे विश्व के अधिकांश स्मार्टफोन धारक इसका उपयोग कर सकेंगे। निजता, पारदर्शिता और सहमति इस प्रयास में बहुत महत्वपूर्ण हैं।
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