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भारत में गिग श्रमिकों की वर्तमान स्थिति 

प्रारंभिक परीक्षा: गिग श्रमिक, गिग इकॉनमी, श्रम कोड, राजस्थान का प्लेटफ़ॉर्म-आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) अधिनियम, 2023
मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, पेपर-3

चर्चा में क्यों?

हाल ही किए गैर सरकारी संगठन ‘जनपहल’ द्वारा गिग श्रमिकों पर गए अध्ययन के आंकड़े स्वास्थ्य, आय सुरक्षा और विनियमन की कमी को दिखा रहे हैं।

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रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:

  • इस रिपोर्ट में देश के 32 शहरों में 5,000 से अधिक गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को शामिल किया गया।  
  • गिग श्रमिक के रूप में 85% ड्राइवर दिन में 8 घंटे से अधिक काम करते हैं। 
    • जिसमें 21% श्रमिक 12 घंटे से अधिक समय तक काम करते हैं।  
  • लगभग 65% महिला गिग श्रमिकों ने माना कि वे अपनी नौकरियों में असुरक्षित महसूस करती हैं।
  • लगभग 87% उत्तरदाताओं ने नौकरी की असुरक्षा के लिए कम समय में सेवाएं देने को मुख्य कारक माना। 
  • अधिक प्रतिस्पर्धा के कारण गिग श्रमिकों की औसत मासिक आय 5 से 10 वर्ष पहले की तुलना में कम है।
    • वाहन ऋण, रखरखाव और ईंधन के लिए कटौती के बाद अधिकांश श्रमिकों की आय लगभग 15,000-20,000 रुपये है।
  • गिग श्रमिकों में 57% 2 से 5 वर्षों से ड्राइवर या सवार हैं।
  • 16% श्रमिक 5 वर्षों से अधिक समय से ड्राइवर या सवार हैं।
  • लगभग 85 प्रतिशत गिग श्रमिक, मुख्य रूप से 30-50 आयु वर्ग के हैं।

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गिग इकॉनमी और गिग श्रमिक के बारे में:

  • गिग इकॉनमी एक मुक्त बाज़ार प्रणाली है।
  • इसमें सामान्यतः अस्थायी और शॉर्टटर्म कार्य अवसर मौजूद होते हैं।
  • इससे जुड़े लोगों को गिग श्रमिक कहा जाता है।
  • यह इकॉनमी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और ऑनलाइन मार्केटप्लेस से संचालित होती है।
  • यह गिग श्रमिकों को विशेष सेवाओं की तलाश करने वाले ग्राहकों से जोड़ती हैं।
  • इससे सम्बंधित प्लेटफ़ॉर्म के उदाहरण हैं- Uber, Swiggy, TaskRabbit आदि।

गिग श्रमिकों से सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण आंकड़े:

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  • सरकारी थिंक-टैंक नीति आयोग के अनुसार, 2020-21 में 77 लाख कर्मचारी गिग इकॉनमी में लगे हुए थे।
  • यह कार्यबल वर्ष 2029-30 तक 2.35 करोड़ श्रमिकों तक विस्तारित होने की उम्मीद है।

रिपोर्ट में की गई सिफारिश:

  • गिग श्रमिकों को कम भुगतान या शोषण से बचाने के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी भुगतान संरचनाएं स्थापित की जाएं।
  • काम की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, कार्य के घंटें निर्धारित किए जाएं।
  • निश्चित समय सीमा से अधिक काम पर ओवरटाइम का भुगतान किया जाए।
  • न्यूनतम वेतन निर्धारित किया जाए ताकि निश्चित आय की गारंटी मिल सके।
  • श्रमिकों की आईडी को अनिश्चित काल के लिए ब्लॉक नहीं किया जाए।
  • प्रति लेनदेन में उनसे लिए जाने वाले कमीशन की मात्रा कम रखी जाए।
  • श्रमिकों के ईंधन बिल के लिए अलग से भुगतान व्यवस्था की जाए।
  • ईंधन बिल भुगतान ईंधन की कीमतें बढ़ने के साथ बढ़ता रहे।
  • श्रमिकों के लिए कल्याण बोर्ड स्थापित किया जाए।
  • इस कार्य क्षेत्र के लिए नियामक ढांचा समय की मांग है। 

गिग श्रमिकों के हितों में किए गए प्रयास:

  • वर्ष 2020 में, संसद ने देश के श्रम कानूनों को सरल बनाने का प्रस्ताव करते हुए औद्योगिक संबंधों, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाजी परिस्थितियों और सामाजिक सुरक्षा पर श्रम कोड पारित किए।
  • पहली बार, सामाजिक सुरक्षा कोड में ‘गिग श्रमिकों’ को शामिल किया गया, और इन्हें सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया गया।
  • वर्ष 2023 में राजस्थान सरकार ने प्लेटफ़ॉर्म-आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) अधिनियम, 2023 पारित किया।
  • राजस्थान लाखों गिग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला देश का पहला राज्य बन गया।

प्रश्न:-  गिग श्रमिक के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. वर्ष 2020 में, संसद ने देश के सरलीकृत श्रम कानूनों में इन्हें शामिल नहीं किया गया।
  1. राजस्थान इन श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला देश का पहला राज्य है। 

नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए- 

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न 1 और ना ही 2   

 उत्तर- (b)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न: भारत में गिग श्रमिकों की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए इनकी स्थिति को सुदृढ़ करने के सुझाव दीजिए।

स्रोत: The Hindu

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