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साइक्लोपियन दीवार

चर्चा में क्यों

हाल ही में,  बिहार सरकार ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को राजगीर में स्थित 2,500 वर्ष  से अधिक पुरानी ‘साइक्लोपियन दीवार’ को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में सूचीबद्ध करने के लिये एक नया प्रस्ताव भेजा है।

प्रमुख बिंदु

  • राजगीर की साइक्लोपियन दीवार पत्थर की एक 40 किमी लंबी दीवार है, जिसे प्राचीन शहर राजगीर को बाहरी दुश्मनों और आक्रमणकारियों से बचाने के लिये तीसरी शताब्दी ई. पू. से पूर्व निर्मित किया गया था।
  • मान्यताओं के अनुसार, इस दीवार की नींव बृहद्रथपुरी (वर्तमान राजगीर) के राजा बृहद्रथ ने राज्य की सुरक्षा के लिये रखी थी। बाद में उनके पुत्र सम्राट जरासंध ने इसे पूरा कराया। 
  • अन्य इतिहासकारों के अनुसार, यह दीवार पूर्व-मौर्यकालीन इतिहास का गवाह रही है। बिहार के पुरातत्व विभाग के अनुसार, यह दीवार दुनिया में विशाल साइक्लोपियन चिनाई के सबसे पुराने उदाहरणों में से एक है
  • यह दीवार रोमन साम्राज्य की उन सीमाओं के समान है, जो जर्मनी, यू.के. और उत्तरी आयरलैंड से होकर गुजरती है। इसे वर्ष 1987 में यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया था।
  • उल्लेखनीय है कि बिहार के दो स्थलों- नालंदा महाविहार तथा बोधगया के महाबोधि मंदिर को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल किया जा चुका है।
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