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डेथ वैली में पुनः उच्च तापमान दर्ज

(प्रारम्भिक परीक्षा: भारत एवं विश्व का भूगोल ; मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1: विषय- विश्व के भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएँ)

हाल ही में, डेथ वैली (कैलिफोर्निया, यू.एस.ए.) में 54.4 डिग्री सेल्सियस या 129.9 डिग्री फ़ारेनहाइट तापमान दर्ज किया गया, जिसके बारे में ऐसा माना जा रहा है कि पिछले कुछ समय में दर्ज किया गया यह सदी का उच्चतम तापमान हो सकता है।

  • यह तापमान 16 अगस्त 2020 को संयुक्त राज्य अमेरिका राष्ट्रीय मौसम सेवा के स्वचालित मौसम स्टेशन द्वारा फर्नेस क्रीक में दर्ज किया गया था।
  • दक्षिण-पूर्वी कैलिफोर्निया में डेथ वैली उत्तर अमेरिकी महाद्वीप का सबसे निचला स्थान है और एक राष्ट्रीय उद्यान भीहै। यह महाद्वीप का सबसे गर्म और सूखा हिस्सा भी है।

death_valley

प्रमुख बिंदु:

  • यद्यपि इसे अभी शुरूआती तापमान माना जा रहा है तथा इस तापमान को अभी तक सत्यापित नहीं किया गया है।
  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसारडेथ वैली पर इसके पूर्व में सबसे उच्च तापमान 10 जुलाई 1913 में ग्रीनलैंड रैंच में रिकॉर्ड किया गया था जो कि लगभग 56.7 डिग्री सेल्सियस था।
  • यह अभी भी पृथ्वी की सतह पर दर्ज सबसे गर्म तापमान है ।
  • हालाँकि, एक सदी पहले तापमान-मापने वाले यंत्र और विधियाँ उतनी उन्नत नहीं थीं, अतः मौसम वैज्ञानिकों को इसकी विश्वसनीयता पर अक्सर संदेह रहता है।

कारण:

  • यह उच्च तापमान एक प्रकार के 'हीट डोम' का परिणाम है जो संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिमी तट पर अक्सर बनता है।
  • हीट डोम: यह उच्च-दबाववाली संवहनी गर्म समुद्री हवाओं को ढक्कन या कैप की तरह सतह पर फंसाता है और हीट वेव या उष्मीय तरंगों के बनने के लिये अनुकूल परिस्थितयों का निर्माण करता है।
  • उच्च दैनिक तापमान और अधिक तीव्र व ज़्यादा समय तक रहने वाली उष्मीय तरंगें जलवायु परिवर्तन की वजह से लगातार बढती जा रही हैं।

अत्यधिक गर्मी के प्रभाव:

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अत्यधिक गर्मी श्वसन रोग, हृदय रोग और गुर्दे के विकारों सहित मौजूदा स्वास्थ्य की स्थिति को और ज़्यादा खराब कर सकती है।
  • मानव शरीर पर गर्मी के तत्काल प्रभावों में ऐंठन, निर्जलीकरण और यहाँ तक कि गर्मी के घातक स्ट्रोक भी शामिल हैं।
  • इसका कृषि और वनों पर भी गम्भीर और नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
  • अक्सर इस वजह से सब्ज़ियाँ खराब हो जाती हैं, फसलें सूख जाती हैं या पौधों में विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ हो जाती हैं।
  • यह जंगल की आग का एक प्रमुख कारण भी है, जिससे वन आवरण में कमी हो रही है और जीवों की मृत्यु हो रही है।
  • यह बिजली ग्रिडों को अवरुद्ध करके ब्लैकआउट का कारण भी बन रहा है, जिससे बुनियादी ढाँचा भी प्रभावित हो रहा है 

डेथ वैली:

  • डेथ वैली, पूर्वी कैलिफोर्निया में, उत्तरी मोजावे रेगिस्तान में, ग्रेट बेसिन रेगिस्तान की सीमा में स्थितएक रेगिस्तानी घाटी है।
  • इसे शैतान का गोल्फ कोर्स (Devil’s Golf Course) भी कहा जाता है और यह रिफ्ट घाटी का एक बेहतरीन उदाहरण है।
  • यह मध्य पूर्व और सहारा के रेगिस्तान के साथ पृथ्वी पर सबसे गर्म स्थानों में से एक है।
  • यह घाटी बेहद शुष्क है क्योंकि यह चार प्रमुख पर्वत श्रृंखलाओं (सिएरा नेवादा और पनामिंट रेंज सहित) के वृष्टि छाया प्रदेश में स्थित है।
  • प्रशांत महासागर से आने वाली अंतर्देशीय नमी को डेथ वैली तक पहुँचने के लिये पहाड़ों के ऊपर से गुज़रना होता है; चूंकि हवा के द्रव्यमान को प्रत्येक श्रेणी द्वारा ऊपर की ओर खींचा जाता है, वे ठंडी और नमी युक्त होती हैं, जिससे पश्चिमी ढलानों पर ही अधिकांशबारिश हो जाती है।
  • जब वायुराशि डेथ वैली में पहुँचती है, तो यह अधिकांश नमी पहले ही खो चुकी होती है और वर्षा के लिये बहुत कम जल/नमी इसमें बची होती है।
  • डेथ वैली मूल अमेरिकी निवासियों की तिम्बिशा नामक जनजाति का घर है, जिन्हें पूर्व में पैनामिंट शोशोन कहा जाता था; वे पिछले कम से कम 1000 वर्षों से यहां निवास कर रहे हैं। इस घाटी को तिम्बिशावासी 'तुम्पसिया ' नाम से पुकारते हैं जिसका अर्थ है "रॉकपेंट (पत्थर का रंग)"; यह एक लाल गेरुए रंग की तरफ इशारा करता है जिसे घाटी में पाई जाने वाली एक प्रकार की मिट्टी से बनाया जाता है।
  • कुछ परिवार अभी भी घाटी के फर्नेस क्रीक पर निवास करते हैं। एक अन्य गांव स्कॉटीज कैसल के वर्तमान स्थान के निकट ग्रेपवाइन कैन्यन में स्थित था। डेथ वैली को तिम्बिशा भाषा में माहुनू ' कहा जाता था जिसका अर्थ है 'अनिश्चित'।
  • इस घाटी का अंग्रेजी नाम वर्ष1849 में कैलिफोर्निया गोल्डरश के दौरान पड़ा। इसे सोने की खदानों तक पहुंचने के लिये घाटी को पार करने वाले लोगोंद्वारा डेथ वैली (मौत की घाटी) कहा जाता था, हालाँकि गोल्डरश के दौरान इस क्षेत्र में केवल एक व्यक्ति की मौत के बारे में ही जानकारी मिलती है।
  • 1850 के दशक के दौरान इस घाटी से बड़ी मात्र में सोने तथा चाँदी को प्राप्त किया गया था। 1880 के दशक में यहाँ से बोरेक्स की खोज की गयी और खच्चर द्वारा खींची जाने वाली गाड़ियों पर लाद कर उसे निकला जाता था।
  • डेथ वैली को 11 फ़रवरी 1933 को राष्ट्रपति हूवर द्वारा राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर दिया गया और इस क्षेत्र को संघीय सुरक्षा में शामिल कर लिया गया।
  • वर्ष 1994 में इस स्मारक को 'डेथ वैली नेशनल पार्क' घोषित करने के साथ साथ इसका काफी अधिक विस्तार किया गया और सेलाइन तथा यूरेका घाटियों को भी इसमें शामिल कर लिया गया।

तापमान को प्रभावित करने वाले कारक:

जलवायु:

  • डेथ वैली की गहराई और आकार उसके गर्मियों के तापमान को प्रभावित करते हैं। यह घाटी समुद्र तल से 282 फीट (86 मी॰) नीचे एक लम्बे, संकरे बेसिन के रूप में है जबकि इसके चारों ओर ऊँची तथा सीधी खड़ी पर्वत श्रृंखलाएँ मौजूद हैं। शुष्क हवा और पेड़-पौधों के आभाव के कारण सूरज की गर्मी इसकी रेगिस्तानी सतह को काफी गर्म कर देती है।
  • गर्मियों की रात में भी ज्यादा राहत नहीं मिलती है क्योंकि रात का तापमान केवल 86 से 95 °फ़ै (30 से 35 °से.) सीमा तक ही गिरता है। इस घाटी में अत्यंत गर्म हवा बहती रहती है जिसके कारण तापमान काफी अधिक हो जाता है।

भू-विज्ञान:

  • सामान्यतः निम्न ऊँचाई वाले स्थानों का तापमान अधिक होता है क्योंकि सूर्य के कारण धरती के गर्म होने पर गर्म हवा ऊपर की तरफ उठती है, लेकिन ऊपर उठती हुई हवा (1) आसपास के ऊँचे स्थानों तथा, (2) अपने ऊपर की हवा के वजन (मूलतः वायुमंडलीय दबाव) के कारण फंसकर रह जाती है। ज़मीन तथा वायुमंडल के बीच हवा की मात्रा के अधिक होने के कारण (अधिक दूरी के कारण) काफी निम्न ऊँचाई वाले स्थानों का वायुमंडलीय दबाव समुद्र तल की समान परिस्थितियों की अपेक्षा अधिक होता है।
  • इस दबाव के कारण धरती के ठीक ऊपर की ऊष्मा फंसकर रह जाती है और साथ ही अत्यंत गर्म हवा को फ़ैलाने वाली वायु किरणों का भी निर्माण करती है। इस प्रकार, यह छाया अथवा अन्य कारकों के मौजूद रहने के बावजूद सभी क्षेत्रों में गर्मी को फ़ैलाने का काम करती है।
  • इस प्रक्रिया का डेथ वैली में विशेष महत्त्व है क्योंकि इसी के कारण उसे अपनी विशिष्ट जलवायु तथा भूगोल प्राप्त होता है। यह घाटी पहाड़ों से घिरी हुई है, जबकि इसकी सतह ज्यादातर सपाट और पौधों से रहित है, जिसके कारण काफी अधिक मात्रा में सूरज की गर्मी ज़मीन तक पहुँचने में सफल रहती है और मिट्टी तथा पत्थरों द्वारा अवशोषित कर ली जाती है।
  • ज़मीनी स्तर की हवा गर्म होने पर ऊपर उठने लगती है और खड़ी ऊँचाई वाली पर्वत श्रृंखलाओं से ऊपर उठने के बाद यह थोड़ी ठंडी होकर अधिक संकुचित रूप में वापस घाटी की ओर आती है। उसके बाद सूर्य के कारण इस हवा का तापमान और अधिक हो जाता है और यह फिर से पहाड़ों की तरफ ऊपर उठने लगती है और हवा का यह ऊपर नीचे आने-जाने का चक्र एक कंवेक्शन ओवन के समान इसी प्रकार प्राकृतिक रूप से चलता रहता है। यह अत्यंत गर्म हवा ज़मीन के तापमान को काफी अधिक मात्रा में बढ़ाकर गर्म वायु किरणों का निर्माण करती है जो वायुमंडलीय दबाव तथा पहाड़ों के कारण फंसकर अधिकतर घाटी के भीतर ही बनी रहती हैं।
  • इस प्रकार की गर्म वायु किरणें डेथ वैली में हमेशा ही सूखे जैसी स्थिति का निर्माण करके घाटी के ऊपर से बादलों को गुज़रने से रोकती हैं, जिसकी वजह से यहां वर्षण अक्सर विरगा (जल के धरती पर पहुंचाने से पहले ही वाष्पित हो जाना) के रूप में होता है।
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