New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM Mid Year Mega Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 17th June 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM Mid Year Mega Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 17th June 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM

भारतीय रूपए का अमेरिकी डॉलर के सापेक्ष मूल्यह्रास 

(प्रारंभिक परीक्षा के लिये – मुद्रा अवमूल्यन, मुद्रास्फीति)
(मुख्य परीक्षा के लिये:सामान्य अध्यन पेपर 3- भारतीय अर्थव्यवस्था, मौद्रिक नीति)

सन्दर्भ

  • अमेरिका में बढ़ती महंगाई को कम करने की अपनी कोशिशों में अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिज़र्व के द्वारा, अपनी ब्याज दरों में 75 बेसिस पॉइंट की वृद्धि करने के कारण डॉलर के सापेक्ष रूपए की कीमत अब तक के अपने न्यूनतम स्तर तक पहुँच गयी है।
  • 23 सितम्बर को 1 डॉलर का मूल्य 81 भारतीय रुपयों के बराबर हो गया।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • अमेरिका में महंगाई 41 वर्षों के अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गयी है, जिसे कम करने के लिये अमेरिकी सेंट्रल बैंक लगातार अपनी ब्याज दरों में वृद्धि कर रही है। 
  • अमेरिकी सेंट्रल रिज़र्व द्वारा अपनी ब्याज दरों में वृद्धि करने के कारण, दुनिया भर की मुद्राएँ डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रही है। 
  • 2022 में अब तक डॉलर के मुकाबले रूपए का 8 प्रतिशत से ज्यादा मूल्य ह्रास हो चुका है।
  • डॉलर की तुलना में यूरो 20 साल के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुँच गया है। 
  • अमेरिकी सेंट्रल बैंक द्वारा ब्याज दरों को बढ़ाने के बाद निवेशक दुनिया भर के बाजारों से अपने पैसे निकाल रहे है, और अमेरिकी बैंक में निवेश कर रहे है।

रूपए के कमजोर होने के प्रभाव

  • रूपये के कमजोर होने से भारत को कच्चा तेल खरीदने के लिये और अधिक रूपए खर्च करने पड़ेंगे, जिससे महंगाई में वृद्धि होगी।  
  • डॉलर का मूल्य बढ़ने से विदेश से कच्चा माल आयात कर के भारत में उत्पादन करने वालों को नुकसान होगा, अब उन्हें आयात करने के लिये और अधिक मूल्य चुकाना पड़ेगा। 
  • डॉलर के रूपए के कमजोर होने से विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से अपना निवेश वापस निकाल सकते हैं। 
  • रूपए के मूल्यह्रास से विदेशों से लिया गया क़र्ज़ महंगा हो जाता है।
  • मुद्रा की कीमत गिरने से देश का चालू खाता घाटा भी बढ़ जाता है।

सकारात्मक पक्ष

  • रूपए की गिरती कीमतों के कारण भारत से निर्यात सस्ता हो जाता है,जिससे निर्यात को प्रोत्साहन मिलता है।  
  • निर्यात की मात्रा बढ़ने से उत्पादों की मांग में वृद्धि होती है, जिससे रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होती है। 
  • निर्यात अधिक होने से देश के विदेशी मुद्रा भण्डार में वृद्धि होती है।

आगे की राह

  • भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बाजार में डॉलर की आपूर्ति को बढ़ा कर रूपए के मूल्यह्रास को रोका जा सकता है।
  • हालांकि विश्व की अन्य मुद्राएँ भी डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रही है, जिससे भारतीय आयात पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR