(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय, बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि) |
संदर्भ
डाक विभाग ने हाल ही में डाकघर अधिनियम, 2023 में संशोधन का मसौदा जारी किया है जिसका उद्देश्य एक अंतर-संचालनीय, मानकीकृत एवं उपयोगकर्ता-केंद्रित एड्रेसिंग प्रणाली शुरू करना है। इसे डिजिटल हब फॉर रेफ़रेंस एंड यूनिक वर्चुअल एड्रेस या (Digital Hub for Reference and Unique Virtual Address: DHRUVA) कहा जाता है।
डिजिटल हब फॉर रेफ़रेंस एंड यूनिक वर्चुअल एड्रेस (ध्रुव) के बारे में
- डाक विभाग द्वारा विकसित ध्रुव ने राष्ट्रव्यापी डिजिटल एड्रेस ‘डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर’ (DPI) की नींव रखी है।
- इसमें एक मानकीकृत, अंतर-संचालनीय एवं जियोकोडेड डिजिटल एड्रेसिंग प्रणाली की परिकल्पना की गई है जो पते की जानकारी के सुरक्षित, सहमति-आधारित व निर्बाध साझाकरण का समर्थन करती है।
- इसके मूल में एड्रेस-एज-ए-सर्विस (AaaS) की अवधारणा है जो उपयोगकर्ताओं, सरकारी संस्थाओं एवं निजी क्षेत्र के संगठनों के बीच सुरक्षित तथा कुशल संवाद का समर्थन करने के लिए एड्रेस डेटा प्रबंधन से जुड़ी सेवाओं की श्रृंखला है।
AaaS फ्रेमवर्क के लाभ
- विभिन्न क्षेत्रों द्वारा प्रयुक्त विभिन्न पता प्रणालियों में अंतर-संचालनीयता
- पता प्रारूपों एवं भौगोलिक स्थान टैगिंग का मानकीकरण
- उपयोगकर्ता नियंत्रण और गोपनीयता को सशक्त बनाने के लिए सहमति-आधारित साझाकरण
- निर्बाध अपनाने और नवाचार के लिए सार्वजनिक-निजी एकीकरण
|
- आधार एवं यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) की तरह डिजिटल पतों को कोर इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में मान्यता देकर ध्रुव ई-गवर्नेंस और ऑनलाइन कॉमर्स से लेकर शहरी नियोजन तथा आपातकालीन सेवाओं तक हर चीज को सुव्यवस्थित करने का लक्ष्य रखता है।
- इस नीति में उपयोगकर्ता-केंद्रित डिजाइन पर भी जोर दिया गया है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि नागरिकों को इस बात पर सार्थक नियंत्रण प्राप्त हो कि उनके पते के डेटा का उपयोग और साझाकरण किस प्रकार किया जाता है।
- नागरिकों को अपनी डिजिटल पता पहचान पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त होगा जिसमें पहुंच को प्रबंधित करने, विवरण अपडेट करने और विभिन्न उपयोग मामलों के लिए अपने सत्यापित पते को सुरक्षित रूप से साझा करने के विकल्प शामिल होंगे।
- ध्रुव प्लेटफॉर्म में बहुभाषी समर्थन, मोबाइल-प्रथम पहुंच और आधार जैसी पहचान प्रणालियों के साथ एकीकरण की सुविधा भी होगी, जिससे सभी जनसांख्यिकी के लिए उपयोगिता एवं पहुँच में सुधार होगा।
- ध्रुव नीति डाक विभाग द्वारा राष्ट्रीय एड्रेसिंग ग्रिड के रूप में पहले शुरू की गई ‘डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर (DIGIPIN)’ पर आधारित है।
डिजिपिन के बारे में मुख्य तथ्य
- यह एक ओपन सोर्स राष्ट्रव्यापी जियो-कोडेड एड्रेसिंग सिस्टम है जिसे डाक विभाग ने आई.आई.टी. हैदराबाद एवं एन.आर.एस.सी., इसरो के सहयोग से विकसित किया है।
- यह भारत को लगभग 4 मीटर x 4 मीटर ग्रिड में विभाजित करता है और प्रत्येक ग्रिड को अक्षांश एवं देशांतर निर्देशांक के आधार पर एक अद्वितीय 10-वर्ण अल्फ़ान्यूमेरिक कोड प्रदान करता है ।
- डिजिपिन प्रणाली सार्वजनिक रूप से सुलभ है और आपातकालीन प्रतिक्रिया, रसद दक्षता और नागरिक सेवा वितरण में सुधार का समर्थन करती है।