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डायरेक्ट-टू-मोबाइल तकनीक

(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : प्रौद्योगिकी, विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।)

संदर्भ  

हाल ही में, दूरसंचार विभाग और प्रसार भारती एक ऐसी तकनीक की व्यवहार्यता की खोज कर रहे हैं जो सक्रिय इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता के बिना वीडियो और मल्टीमीडिया सामग्री को सीधे मोबाइल फोन पर प्रसारित करने की अनुमति देती है। 

डायरेक्ट-टू-मोबाइल प्रसारण

  • यह तकनीक ब्रॉडबैंड और ब्रॉडकास्ट के अभिसरण (Convergence) पर आधारित है जिसके उपयोग से मोबाइल फोन डिजिटल टीवी की तरह कार्य करेगा। यह प्रणाली उसी तरह से कार्य करेगी जैसे फोन में एफ.एम. रेडियो तकनीक कार्य करती है, जिसमें मोबाइल के भीतर एक रिसीवर रेडियो फ्रीक्वेंसी को पढ़ने में सक्षम होता है।  
  • डी2एम का उपयोग करके मल्टीमीडिया सामग्री को सीधे फोन पर प्रसारित किया जा सकता है तथा इसका उपयोग नागरिक केंद्रित जानकारी को सीधे प्रसारित करने में भी हो सकता है। 
  • इसका उपयोग फेक न्यूज से निपटने, आपातकालीन अलर्ट जारी करने एवं आपदा प्रबंधन में किया जा सकता है। इसके अलावा, इस तकनीक के माध्यम से मोबाइल फोन पर समाचारों एवं खेलों का सीधा प्रसारण भी किया जा सकता है।  

उपभोक्ता और व्यापार पर प्रभाव 

  • इस तकनीक से उपभोक्ता मोबाइल डाटा का उपयोग किये बिना बहुत कम दर पर वीडियो ऑन डिमांड (VoD) या ओवर द टॉप (OTT) सामग्री प्लेटफॉर्म (Content Platforms) से मल्टीमीडिया सामग्री को प्राप्त करने में सक्षम होंगे। 
  • यह तकनीक सीमित या बिना इंटरनेट पहुँच वाले ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को वीडियो सामग्री देखने की सुविधा प्रदान करेगी।   
  • यह तकनीक दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को अपने मोबाइल नेटवर्क से वीडियो को हटाकर प्रसारण नेटवर्क पर लोड करने में सक्षम बनाएगा। इससे मोबाइल स्पेक्ट्रम पर ट्रैफिक कम हो जाएगा एवं मोबाइल स्पेक्ट्रम के उपयोग में भी सुधार होगा तथा बैंडविड्थ का कुछ और भाग अन्य कार्यों के लिये उपलब्ध हो जाएगा, जिससे कॉल ड्रॉप कम करने, डाटा गति को बढ़ाने आदि में मदद मिलेगी।

तकनीक उन्नयन हेतु सरकार के प्रयास

  • दूरसंचार विभाग ने उपयोगकर्ताओं के स्मार्टफोन पर सीधे प्रसारण सेवाओं को देने के लिये स्पेक्ट्रम बैंड की व्यवहार्यता का अध्ययन करने हेतु एक समिति का गठन किया है। 
  • बैंड 526-582 मेगाहर्ट्ज की परिकल्पना मोबाइल और ब्रॉडकास्ट दोनों सेवाओं के समन्वय के लिये की गई है। वर्तमान में इस बैंड का प्रयोग देश भर में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय टीवी ट्रांसमीटर के लिये करता है।  
  • विदित है कि पिछले वर्ष प्रौद्योगिकी की व्यवहार्यता का परीक्षण करने के लिये सार्वजनिक सेवा प्रसारक प्रसार भारती ने आई.आई.टी. कानपुर के साथ समझौते की घोषणा की थी।

संभावित चुनौतियाँ 

  • मोबाइल ऑपरेटरों जैसे प्रमुख हितधारकों द्वारा व्यापक स्तर पर डी2एम तकनीक लॉन्च करना चुनौतीपूर्ण होगा। 
  • तकनीक को व्यापक स्तर पर लॉन्च करने के लिये बुनियादी ढाँचे के साथ नियामकीय बदलाव भी करने होंगे।
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