भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science: IISc) बेंगलुरु के शोधकर्ताओं ने प्राचीन प्रोटीन संरचनाओं की खोज की है जो यह समझा सकती हैं कि जीवन सरल एककोशिकीय जीवों से जटिल बहुकोशिकीय जीवों में कैसे परिवर्तित हुआ।
खोज से संबंधित प्रमुख बिंदु
- खोज: कोशिकाओं को संचार एवं व्यवस्थित करने में मदद करने वाले प्राचीन प्रोटीनों की पहचान
- विधि: उन्नत आणविक जीव विज्ञान एवं संगणनात्मक उपकरणों का उपयोग करके बैक्टीरिया, आर्किया व यूकैरियोट्स में प्रोटीनों का तुलनात्मक विश्लेषण
- इन प्रोटीनों ने कोशिकीय सहयोग और विशेषज्ञता का आधार प्रदान किया होगा।
- इसके लिए शोधकर्ताओं द्वारा वैज्ञानिक आर्किया के एक विशेष समूह असगार्ड आर्किया का अध्ययन किया गया।
महत्त्व
- यह बहुकोशिकीयता की उत्पत्ति (लगभग 600 मिलियन वर्ष पूर्व) को समझने में मदद करता है।
- कैंसर जैसी बीमारियों के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है जहाँ कोशिका संचार विफल हो जाता है।
- विकासवादी जीव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी के ज्ञान को आगे बढ़ाता है।
कोशकीय विकास में प्रोटीन की भूमिका
- ‘साइटोस्केलेटन’ प्रोटीन का वह नेटवर्क है, जो कोशिकाओं को उनका आकार देता है और उन्हें विभाजित होने में मदद करता है।
- बैक्टीरिया में कोशिका विभाजन के लिए ‘FtsZ प्रोटीन’ आवश्यक है। यूकैरियोट्स ‘ट्यूबुलिन’ जैसे संबंधित प्रोटीन पर निर्भर करते हैं, जो अधिक उन्नत कार्य करते हैं।