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जम्मू कश्मीर में अधिवास संबंधी मुद्दा

(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : सरकारी नीतियों व विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

संदर्भ 

जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने विधान सभा को बताया कि पिछले दो वर्षों (2023-24) में 83,000 से अधिक गैर-राज्यीय लोगों को राज्य में अधिवास प्रमाण पत्र दिए गए हैं। इसी अवधि में जम्मू और कश्मीर में जारी किए गए अधिवास प्रमाण पत्रों की कुल संख्या 35,12,184 है।

जम्मू एवं कश्मीर में अधिवास प्रमाणपत्र के बारे में

  • 35,12,184 में से कुल 83,742 ‘गैर-राज्य विषयों’ (Non-State Subjects) को अधिवास प्रमाण पत्र जारी किए गए।
  • राज्य-विषय (State Subjects) शब्द का तात्पर्य जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासियों से है। इसी प्रकार ‘गैर-राज्य विषय’ से तात्पर्य राज्य के अस्थायी निवासियों से है।
  • ये प्रमाण-पत्र व्यक्तियों को सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने और केंद्र शासित प्रदेश में संपत्ति खरीदने की अनुमति देते हैं।

जम्मू एवं कश्मीर अधिवास संबंधी नियम 

जम्मू एवं कश्मीर संविधान

  • जम्मू एवं कश्मीर के संविधान के तहत भारत का नागरिक दो शर्तों के तहत तत्कालीन राज्य का स्थायी निवासी था :
    • यदि 14 मई, 1954 को वे वर्ग I या वर्ग II के ‘राज्य विषय’ (स्थायी निवासी) थे, और उन्होंने राज्य में कानूनी रूप से अचल संपत्ति अर्जित की थी एवं उस तारीख से पहले कम से कम 10 साल तक राज्य में सामान्य रूप से निवासी थे।
    • ऐसे लोग जो उन क्षेत्रों में चले गए थे जो बाद में पाकिस्तान बन गया किंतु राज्य विधानमंडल द्वारा बनाए गए किसी कानून के अधिकार के तहत या उसके तहत जारी किए गए पुनर्वास या स्थायी वापसी के लिए परमिट के तहत राज्य में वापस आ गए थे।

भारत का संविधान

  • संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत पूर्ववर्ती जम्मू एवं कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्राप्त था और इसे अगस्त 2019 में केंद्र सरकार ने निरस्त कर दिया था। इसके अंतर्गत केवल जम्मू एवं कश्मीर के स्थायी निवासी ही सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन कर सकते थे और वहाँ भू-स्वामी हो सकते थे।
    • इस प्रावधान ने गैर-राज्य विषयों को जम्मू एवं कश्मीर में स्थायी रूप से रहने से रोक दिया था।

जम्मू एवं कश्मीर अधिवास प्रमाण पत्र अनुदान (प्रक्रिया) नियम 2020

  • मई 2020 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के कुछ महीनों बाद जम्मू एवं कश्मीर प्रशासन ने ‘जम्मू एवं कश्मीर अधिवास प्रमाण पत्र अनुदान (प्रक्रिया) नियम 2020' नामक एक अधिसूचना जारी की, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश में अधिवास प्रमाण पत्र जारी करने के नियमों को परिभाषित किया गया।
  • वर्तमान में अधिवासी को ऐसे किसी भी व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है, जो:-
    • 15 साल की अवधि के लिए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में रहता है; या
    • सात साल की अवधि के लिए केंद्र प्रशासित प्रदेश में अध्ययन किया है; या 
    • जम्मू एवं कश्मीर में स्थित किसी शैक्षणिक संस्थान में कक्षा 10वीं/12वीं की परीक्षा में शामिल हुआ है।
  • इसने उन लोगों को जम्मू एवं कश्मीर का अधिवास प्रमाण पत्र प्राप्त करने की अनुमति दी जो इस मानदंड को पूरा करते थे किंतु पहले ‘स्थायी निवासी’ के दायरे में नहीं थे।
  • नए नियमों व प्रक्रिया के परिणामस्वरूप पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थी, सफाई कर्मचारी और जम्मू एवं कश्मीर के बाहर विवाहित महिलाओं के बच्चे निवास प्रमाण पत्र के लिए पात्र हो गए।

गैर-निवासियों द्वारा संपत्ति खरीद

  • केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2023 में संसद में साझा किए गए आंकड़ों से पता चला है कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से 185 गैर-निवासियों ने केंद्र शासित प्रदेश में जमीन खरीदी है।
  • वर्ष 2021 में 57 गैर-निवासियों ने और 2022 में 127 गैर-निवासियों ने केंद्र शासित प्रदेश में जमीन खरीदी थी।

संबंधित चिंता

  • विपक्ष की मांग है कि इस प्रमाणीकरण प्रक्रिया के खिलाफ जांच की जानी चाहिए और इसे पूरी तरह से रद्द कर दिया जाए। 
  • चूंकि प्रमाणीकरण नौकरी पाने के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है, इसलिए यहां बड़ा आंकड़ा स्थानीय लोगों का है, जिन्हें निवास प्रमाण पत्र द्वारा प्रदत्त सुविधाओं की अधिक आवश्यकता है।
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