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वैश्विक उपग्रह प्रणाली के साथ निगरानी में वृद्धि

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता)

संदर्भ

विकसित होती सुरक्षा चुनौतियों की प्रतिक्रिया में भारत सरकार ने वास्तविक समय निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए वैश्विक वाणिज्यिक उपग्रह चित्र प्रदाताओं (Imagery Providers) के साथ बातचीत शुरू किया है। 

वैश्विक उपग्रह प्रणाली की आवश्यकता 

उद्देश्य

  • मैक्सार जैसी वैश्विक फर्मों से उच्च-रिज़ॉल्यूशन उपग्रह चित्र प्राप्त करके सैन्य एवं सीमा सुरक्षा के लिए निगरानी को मजबूत करना
  • सटीक एवं समय पर सैन्य कार्रवाई के लिए संघर्षों के दौरान वास्तविक समय निगरानी को सक्षम बनाना

उत्प्रेरक 

  • ऐसा अनुमान है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने पाकिस्तान को लाइव उपग्रह इनपुट प्रदान किए थे, जिससे भारत को ऐसी क्षमताओं का मुकाबला करने के लिए बेहतर निगरानी की आवश्यकता हुई।
  • ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) में कार्टोसैट एवं रीसैट जैसे स्वदेशी उपग्रहों की सीमित पुनरीक्षण दरों के कारण भारत की उपग्रह निगरानी में कमियाँ उजागर हुई। 

स्वदेशी उपग्रहों की सीमाएँ

  • कार्टोसैट-3 : लगभग 50 सेमी. का रिज़ॉल्यूशन प्रदान करता है किंतु अकेले संचालित होने के कारण गतिशील युद्धक्षेत्र परिदृश्यों के लिए महत्त्वपूर्ण पुनरीक्षण आवृत्ति सीमित हो जाती है।
  • रीसैट : सभी मौसमों में रडार इमेजिंग प्रदान करता है किंतु छोटे बेड़े के आकार के कारण इसमें भी पुनरीक्षण आवृत्ति सीमित हो जाती है।

वैश्विक सहयोग

भारत के अंतरिक्ष आधारित निगरानी-III (SBS-III) कार्यक्रम के वर्ष 2029 तक पूरी तरह से चालू होने तक कमियों को दूर करने के लिए तेज़, उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली इमेजरी के लिए मैक्सार जैसी फर्मों को शामिल किया गया है।

अंतरिक्ष आधारित निगरानी-III (SBS-III) कार्यक्रम

  • अनुमोदन : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अक्तूबर 2024 में वर्ष 2029 तक 52 निगरानी उपग्रहों की तैनाती के लिए 3.2 बिलियन डॉलर की मंजूरी दी।
  • कार्यान्वयन : इसरो 21 उपग्रहों का निर्माण एवं प्रक्षेपण करेगा, जबकि निजी कंपनियाँ शेष 31 उपग्रहों का संचालन करेंगी, जिनकी देखरेख रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी करेगी।
  • उद्देश्य : उन्नत इमेजिंग एवं सभी मौसमों में निगरानी क्षमताओं के साथ भूमि व समुद्री सीमाओं की निगरानी बढ़ाना।

आगे की राह

  • अल्पकालिक : परिस्थितिजन्य जागरूकता बढ़ाने के लिए तत्काल उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेजरी के लिए वैश्विक फर्मों का लाभ उठाना
  • दीर्घकालिक : निगरानी में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए SBS-III की तैनाती में तेज़ी लाने के साथ ही स्वदेशी उपग्रह समूहों में निवेश करना
  • नीति : भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 के अनुसार नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को मज़बूत करना और अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को उदार बनाना
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