(प्रारंभिक परीक्षा : सामाजिक एवं आर्थिक मुद्दे) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय) |
संदर्भ
भारत में एक ओर कुपोषण की चुनौती है, तो दूसरी ओर मोटापा एक मूक महामारी बनकर उभर रहा है। पहले केवल समृद्ध वर्ग की समस्या माना जाने वाला मोटापा अब मध्यमवर्गीय परिवारों में भी तेजी से बढ़ रहा है। मोटापा न केवल स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देता है, बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का जोखिम भी बढ़ाता है।
भारत में मोटापे की समस्या
- लगभग 20% भारतीय परिवारों के सभी वयस्क अधिक वजन वाले हैं और 10% परिवारों के सभी वयस्क मोटापे से ग्रस्त हैं।
- शहरी क्षेत्रों में मोटापा ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में दोगुना है।
- तमिलनाडु एवं पंजाब जैसे राज्यों में प्रत्येक 5 में से 2 परिवारों के सभी वयस्क मोटापे से प्रभावित हैं।
- पारिवारिक मोटापा (क्लस्टरिंग) बच्चों में अस्वास्थ्यकर खान-पान एवं गतिहीन जीवनशैली को सामान्य बना देता है, जो पीढ़ीगत जोखिम बढ़ाता है।
हालिया रिपोर्ट्स
- WHO की IARC (2023) के अनुसार, मोटापा 13 प्रकार के कैंसर (जैसे- स्तन, कोलोरेक्टल, अग्नाशय व गर्भाशय कैंसर) के लिए प्रमुख जोखिम कारक है।
- उच्च BMI वाले व्यक्तियों में हृदय रोग होने पर कैंसर का जोखिम 17% बढ़ जाता है।
- अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार मोटापा महिलाओं में 11% और पुरुषों में 5% कैंसर के लिए जिम्मेदार है।
- भारत में मोटापे से संबंधित कैंसर परिवारों में आर्थिक संकट का कारण बन रहे हैं।
मोटापे का विज्ञान
- हाइपरइंसुलिनमिया (Hyperinsulinemia) : मोटापे से इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ता है जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा देता है।
- पुरानी सूजन (Chronic Inflammation) : वसा कोशिकाएँ सूजन पैदा करती हैं, जो डी.एन.ए. को नुकसान पहुंचाती है और प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करती है।
- हार्मोनल असंतुलन : अतिरिक्त वसा ऊतक एस्ट्रोजन का उत्पादन बढ़ाते हैं जो स्तन एवं गर्भाशय कैंसर का जोखिम बढ़ाता है।
- कार्डियो-मेटाबॉलिक डिसफंक्शन : असामान्य ग्लूकोज चयापचय कैंसर कोशिकाओं के विकास एवं मेटास्टेसिस को बढ़ावा देता है।
सरकारी पहल
- नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज : मोटापा एवं कैंसर जैसे गैर-संचारी रोगों पर ध्यान
- डे केयर कैंसर सेंटर्स : वर्ष 2025-26 में निवारण और उपचार पर केंद्रित 200 केंद्र स्थापित करने की योजना
- नियामक उपाय : चीनीयुक्त पेय पर कर, खाद्य पैकेजिंग पर पोषण लेबलिंग और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के विज्ञापन पर प्रतिबंध
- पोषण कार्यक्रम : स्कूल एवं कार्यस्थल आधारित पोषण कार्यक्रम की शुरूआत
चुनौतियाँ
- मोटापे को व्यक्तिगत समस्या के बजाय पारिवारिक एवं सामाजिक समस्या के रूप में न मानने की प्रवृत्ति
- शहरीकरण एवं समृद्धि के साथ अस्वास्थ्यकर खान-पान व गतिहीन जीवनशैली का बढ़ना
- अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों और चीनीयुक्त पेय की आसान उपलब्धता
- स्वास्थ्य सेवाओं पर पहले से ही बोझ से मोटापे से संबंधित बीमारियों के लिए संसाधनों की कमी
- मोटापे और कैंसर के बीच संबंध को पूरी तरह न समझने के कारण जागरूकता की कमी
आगे की राह
- पारिवारिक स्तर पर हस्तक्षेप : परिवारों को स्वस्थ खान-पान (ताजी सब्जियां, साबुत अनाज, फल) और शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करना।
- शहरी नियोजन : पैदल चलने योग्य मार्ग, ताजे उत्पादों की सस्ती उपलब्धता और गतिविधि-उन्मुख कार्यस्थल
- शिक्षा एवं जागरूकता : स्कूलों एवं समुदायों में पोषण व मोटापे के खतरों से संबंधित जागरूकता अभियान
- पोषण पर जोर : व्यायाम के साथ-साथ स्वस्थ आहार पर ध्यान देना क्योंकि केवल व्यायाम से मेटाबॉलिक नुकसान का ठीक न होना
- नीतिगत उपाय : खाद्य उद्योग पर सख्त नियम, जैसे- चीनी एवं अस्वास्थ्यकर वसा पर कर
- स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करना : मोटापा निवारण एवं कैंसर स्क्रीनिंग के लिए अधिक निवेश