New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Hindi Diwas Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 15th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM Hindi Diwas Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 15th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

पारिस्थितकी संवेदनशील क्षेत्र

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।)

संदर्भ

हाल ही में, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने तिरुवनंतपुरम में नेय्यर (Neyyar) और पेप्पारा (Peppara) वन्यजीव अभयारण्यों के क्षेत्र को पारिस्थितकी संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) घोषित करने के लिये एक मसौदा अधिसूचना जारी की है।

नेय्यर और पेप्पारा वन्यजीव अभयारण्य

MyristicaSwamp

  • ये दोनों वन्यजीव अभयारण्य पश्चिमी घाट में अगस्त्यमलाई बायोस्फीयर रिजर्व के अंतर्गत शामिल है। 
  • ये वन्यजीव अभयारण्य समृद्ध जैव विविधता के लिये जाने जाते हैं, जहाँ 1000 फूलों की प्रजातियाँ, 43 स्तनपायी प्रजातियाँ, 233 पक्षी प्रजातियाँ, 46 सरीसृप प्रजातियाँ, 13 उभयचर प्रजातियाँ, 27 समुद्री प्रजातियाँ पायी जाती हैं। संकटग्रस्त मिरिस्टिका दलदल (MyristicaSwamp) भी इस संरक्षित क्षेत्र में स्थित है।

अधिसूचना के प्रावधान

  • नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न विभागों के परामर्श से एक क्षेत्रीय मास्टर प्लान तैयार करना अनिवार्य है।
  • ई.एस.जेड. की निगरानी के लिये जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति गठित की जाएगी। 

अधिसूचना का विरोध

  • विशेषज्ञों का मानना है कि अधिसूचित क्षेत्र स्थानीय निकायों के सामान्य जीवन के साथ-साथ उनके विकास की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। 
  • इस क्षेत्र में लगाए गये प्रतिबंधों से हिल हाईवे परियोजना सहित चल रही बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं के बाधित होने की संभावना है।
  • कृषि गतिविधियों में संलग्न किसानों को प्रतिबंधों के कारण मुश्किलें पैदा हो सकती हैं।

क्या है ई.एस.जेड. क्षेत्र

  • इन्हें पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र या पारिस्थितिक रूप से कमजोर क्षेत्र (Ecologically Fragile Areas) भी कहा जाता है। इन क्षेत्रों की अधिसूचना पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी की जाती है। इनकी स्थापना राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास के क्षेत्र में की जाती हैं।
  • पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत इन संवेदनशील क्षेत्रों में खनन, रेत उत्खनन, ताप विद्युत संयंत्रों के निर्माण आदि कार्यों पर रोक लगाई जा  सकती है।

ई.एस.जेड. क्षेत्र में प्रतिबंधित गतिविधियाँ 

  • संरक्षित क्षेत्रों के 1 किमी. के भीतर होटल और रिसॉर्ट सहित किसी भी प्रकार के निर्माण की अनुमति नहीं दी जाती है। 
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा गैर-प्रदूषणकारी के रूप में वर्गीकृत किये गए लघु उद्योग इन क्षेत्रों में स्थापित किये जा सकते हैं।
  • राज्य सरकार में सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति के बिना वन या सरकारी या राजस्व या निजी भूमि में कोई वृक्ष नहीं काटा जा सकता है।
  • इस क्षेत्र में वाणिज्यिक खनन, पत्थर उत्खनन आदि गतिविधियाँ प्रतिबंधित है। साथ ही, नए उद्योगों और मौजूदा प्रदूषणकारी उद्योगों के विस्तार की अनुमति नहीं दी जाती है। 
  • इसके अतिरिक्त, इन क्षेत्रों में जलविद्युत परियोजनाओं, ठोस अपशिष्ट निपटान स्थलों, बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक पशुधन और पोल्ट्री फार्मों, लकड़ी आधारित औद्योगिक इकाइयों तथा ईंट भट्टों को भी प्रतिबंधित किया गया है।
  • इस क्षेत्र में खतरनाक पदार्थों के उपयोग या उत्पादन, प्राकृतिक जल निकायों या भूमि क्षेत्र में अनुपचारित अपशिष्टों के निर्वहन, विस्फोटक वस्तुओं के निर्माण और भंडारण, जलाऊ लकड़ी के व्यावसायिक उपयोग, नदियों और भूमि क्षेत्रों में ठोस, प्लास्टिक एवं रासायनिक कचरे के डंपिंग, नदी तट पर अतिक्रमण को रोका जाएगा।

विनियमित गतिविधियाँ

  • इन संरक्षित क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों को कृषि, बागवानी, डेयरी फार्मिंग और जलीय कृषि को जारी रखने की अनुमति दी जाएगी।
  • इन क्षेत्रों में पर्यावरण के अनुकूल गतिविधियों जैसे- वर्षा जल संचयन, जैविक खेती, कुटीर उद्योग, नवीकरणीय ऊर्जा और ईंधन का उपयोग, कृषि वानिकी, पर्यावरण के अनुकूल परिवहन, बागवानी और औषधीय वृक्षारोपण तथा पर्यावरण जागरूकता को प्रोत्साहित किया जाएगा।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X