New
The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June.

आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण

(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - आर्थिक आधार पर आरक्षण, आरक्षण से जुड़े संवैधानिक निर्णय)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:2 -  न्यायपालिका, केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय)
संदर्भ 

  • सुप्रीम कोर्ट की पाँच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने आरक्षण से संबंधित अपने एक निर्णय में आर्थिक आधार पर आरक्षण को संवैधानिक माना है, इस पीठ ने 3-2 के बहुमत से आरक्षण के पक्ष में निर्णय दिया।
  • केंद्र सरकार द्वारा भारत के संविधान में 103वां संशोधन करके आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान किया गया था।

आर्थिक आधार पर आरक्षण

  • यह सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान करता है। 
  • इसके तहत ईडब्ल्यूएस को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण प्रदान करने के लिए संसद, ने संविधान (103 वां संशोधन) अधिनियम, 2019 पारित किया।
  • यह आरक्षण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग को दिए जा रहे वर्तमान 50 प्रतिशत की सीमा से बाहर है।
  • इसके माध्यम से संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन करके अनुच्छेद 15 (6) और अनुच्छेद 16 (6) को शामिल किया गया, ताकि अनारक्षित श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण दिया जा सके। 
  • अनुच्छेद 15(6) -
    • इसके अनुसार शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए ईडब्ल्यूएस के लिए 10% तक सीटें आरक्षित की जा सकती है। 
    • ये आरक्षण अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों पर लागू नही होगा।
  • अनुच्छेद 16(6) -
    • इसके अनुसार सरकार ईडब्ल्यूएस के लिए सभी सरकारी पदों के 10% तक को आरक्षित कर सकती है।

आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए पात्रता मानदंड

  • परिवार की सकल वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम हो, आय में सभी स्रोतों यानी वेतन, कृषि, व्यवसाय, पेशे आदि से आय भी शामिल होगी।
  • 5 एकड़ से अधिक कृषि योग्य भूमि ना हो।
  • 1000 वर्ग फुट और उससे अधिक का आवासीय भूखंड ना हो।
  • अधिसूचित नगरपालिकाओं में 100 वर्ग गज या उससे अधिक का आवासीय भूखंड ना हो।
  • अधिसूचित नगरपालिकाओं के अलावा अन्य क्षेत्र में, 200 वर्ग गज या उससे अधिक का आवासीय भूखंड ना हो।

आर्थिक आरक्षण के पक्ष में तर्क 

  • हालाँकि, जाति व्यवस्था, भारत में अन्याय का एक प्रमुख कारण है, परंतु इसे पिछड़ेपन के एकमात्र कारक के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता, इसीलिए पिछड़ेपन की जाति आधारित परिभाषा से आगे भी नए मानदंड विकसित करने की आवश्यकता है। 
  • राम सिंह बनाम भारत संघ (2015) मामले में, उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जाति की अवधारणा से बाहर भी सामाजिक कमियाँ मौजूद हो सकती हैं (उदाहरण के लिए आर्थिक स्थिति / ट्रांसजेंडर के रूप में लिंग पहचान)।
  • आरक्षण का आधार आर्थिक पिछड़ापन होना तार्किक रूप से उचित है , क्योंकि सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के अतिरिक्त कई वर्ग ऐसे हैं, जिन्हे दयनीय परिस्थितियों में रहने के बावजूद आरक्षण का लाभ प्राप्त नहीं होता है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 46 के तहत, राज्य का कर्तव्य है, कि वह दुर्बल वर्गों के हितों की रक्षा करे।  
  • आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को उनकी वित्तीय अक्षमता के कारण उच्च शिक्षण संस्थानों और सार्वजनिक रोजगार का लाभ नहीं मिल पाता है। 
  • आर्थिक आधार पर आरक्षण एक प्रगतिशील कदम है,  यह शैक्षिक और आय असमानता के मुद्दों को संबोधित करता है।

आर्थिक आरक्षण के विरोध में तर्क

  • आरक्षण का प्राथमिक उद्देश्य वंचित वर्गों को प्रतिनिधित्व प्रदान करना है, ना कि आर्थिक विषमताओं को कम करना, इसीलिए आर्थिक आधार पर आरक्षण तर्कसंगत नहीं है। 
  • आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों का निर्धारण एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि मानदंड के तहत व्यक्तियों को शामिल करने और बाहर करने के संबंध में चिंतायें है।
  • सरकारों के पास, यह साबित करने के लिए, ऐसे आँकड़े उपलब्ध नहीं है, कि 8 लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले सामान्य वर्ग के व्यक्तियों का सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है।
  • यह इंदिरा साहनी और अन्य बनाम संघ (1992) में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय का उल्लंघन करता है, जिसमें आरक्षण की अधिकतम सीमा को 50 प्रतिशत तक सीमित कर दिया गया था।

आगे की राह 

  • लोकतंत्र में संसद, जनता का प्रतिनिधित्व करती है, इसीलिए संविधान के लागू होने के बाद इसमे आवश्यक संसोधन करना संसद का कर्तव्य है, इसी को ध्यान में रखते हुए संसद ने आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान किया। 
  • चूंकि उच्चतम न्यायालय संविधान एवं उसके मूल ढांचे का संरक्षक है, इसीलिए उसके द्वारा संसदीय कानूनों की समीक्षा करना भी उचित है। 
  • आरक्षण को बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण कम होते रोजगार के अवसरों के आलोक में भी देखे जाने की आवश्यकता है। 
  • आरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दों के दीर्घकालीन समाधान के लिए, निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसरों, शिक्षा एवं कौशल निर्माण, जैसे विषयों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। 
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR