कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation: EPFO) ने ‘पासबुक लाइट’ नामक एक नई सुविधा शुरू की है।
पासबुक लाइट की मुख्य विशेषताएँ
- यह सदस्यों को अंशदान, निकासी एवं वर्तमान शेष राशि के साथ पासबुक का संक्षिप्त विवरण प्रदान करेगी।
- वर्तमान में सदस्यों को अपने भविष्य निधि विवरण की जांच करने के लिए ‘पासबुक पोर्टल’ पर अलग से लॉग इन करना पड़ता है।
- ऐसे में दोहरी लॉगिन प्रणाली के कारण प्राय: देरी, पासवर्ड सिंक्रोनाइज़ेशन की समस्याएँ और अन्य शिकायतें होती थीं।
- इस नयी सुविधा से ‘पासबुक पोर्टल’ पर भार कम होने के साथ ही परिचालन दक्षता में सुधार होगा।
- इस पहल से शिकायतों में कमी आने, पारदर्शिता में सुधार और सदस्यों की संतुष्टि बढ़ने की उम्मीद है।
- ई.पी.एफ.ओ. ने भविष्य निधि हस्तांतरण पारदर्शिता के लिए अनुलग्नक ‘के’ (स्थानांतरण प्रमाणपत्र) तक ऑनलाइन पहुँच भी सक्षम की है।
- अब तक अनुलग्नक K केवल पी.एफ. कार्यालयों के बीच ही साझा किया जाता था और सदस्यों के अनुरोध पर ही उन्हें उपलब्ध कराया जाता था।
- इसके माध्यम से सदस्य अपने पी.एफ. स्थानांतरणों को आसानी से सत्यापित करने के साथ ही नए खाते में पी.एफ. शेष और सेवा अवधि के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
इसे भी जानिए!
- कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की स्थापना 15 नवंबर, 1951 को कर्मचारी भविष्य निधि अध्यादेश के साथ हुई, जिसे बाद में कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया।
- इसका उद्देश्य कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों के लिए भविष्य निधि स्थापित करना था। यह कानून पूरे देश में लागू है।
- इससे संबंधित योजनाओं का प्रशासन केंद्रीय न्यासी बोर्ड द्वारा किया जाता है जिसमें सरकार (केंद्र एवं राज्य दोनों), नियोक्ता व कर्मचारियों सहित विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
- ई.पी.एफ.ओ. भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है।
- वर्तमान में यह अपने सदस्यों से संबंधित 29.88 करोड़ खातों (वार्षिक रिपोर्ट 2022-23) का संचालन करता है।
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