पिछले तीन दशकों से कश्मीर में विलुप्त माने जा रहे यूरेशियन ऊदबिलाव (Eurasian Otter) की उपस्थिति दक्षिण कश्मीर के श्रीगुफवारा में लिद्दर नदी में पुनः दर्ज की गई है।
यूरेशियन ऊदबिलाव के बारे में
- परिचय : यह अर्ध-जलीय स्तनपायी है जिसे स्थानीय रूप से वुडर के नाम से जाना जाता है।
- वैज्ञानिक नाम : लुट्रा लुट्रा (Lutra lutra)
- वंश या जीनस : लुट्रा (Lutra)
- कुल : मस्टेलिडे (Mustelidae)
- उपकुल (Sub-Family) : ल्यूट्रिना (Lutrinae)

- प्रमुख विशेषताएँ :
- आकार व बनावट : इसकी लंबाई 57-95 सेमी. एवं इसका इसका वजन 7-12 किग्रा. के बीच होता है।
- आहार : इस मांसाहारी प्रजाति का मुख्य भोजन मछलियाँ हैं। यह केकड़ों, मेंढकों एवं अन्य जलीय जीवों को भी खाता है।
- जीवनकाल : जंगल में इसकी औसत आयु 8-12 वर्ष होती है। हालांकि, कैद में यह 20 वर्ष तक जीवित रह सकता है।
- पारिस्थितिकीय भूमिका : यह कश्मीर की जलीय पारिस्थितिकी में एक शीर्ष शिकारी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
- यह जलाशयों में मछलियों एवं अन्य जलीय जीवों की आबादी को नियंत्रित करता है जिससे पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बना रहता है।
- इसकी मौजूदगी जल की गुणवत्ता एवं जैव-विविधता का एक प्राकृतिक संकेतक मानी जाती है।
- संरक्षण स्थिति :
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की लाल सूची : संकटापन्न (Near Threatened) की श्रेणी में वर्गीकृत
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (भारत) : अनुसूची I
- CITES : परिशिष्ट I
कश्मीर में विलुप्ति के कारण
- जल प्रदूषण : औद्योगिक एवं घरेलू अपशिष्ट के कारण कश्मीर के जलाशयों में प्रदूषण बढ़ने से मछलियों व अन्य जलीय जीवों की उपलब्धता कम हो गई। यह ऊदबिलाव के आहार को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक था।
- अवैध शिकार : ऊदबिलाव के घने एवं आकर्षक फर के लिए इसका बड़े पैमाने पर शिकार किया गया, जिससे इसकी आबादी में तेजी से कमी आई।
- आवास क्षति : नदियों एवं झीलों के किनारों पर मानवीय अतिक्रमण तथा बांधों के निर्माण ने इसके प्राकृतिक आवास को नष्ट कर दिया।
- पारिस्थितिकीय असंतुलन : मछलियों की कमी और जल की गुणवत्ता में गिरावट ने ऊदबिलाव के लिए जीवन एवं प्रजनन कठिन बना दिया।
संरक्षण के लिए सुझाव