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वित्तीय वर्ष 2022-23 : चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा

प्रारंभिक परीक्षा– व्यापार संतुलन, व्यापार घाटा, भारत-चीन संबंध
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - भारत एवं इसके पड़ोसी देशों से संबंध

संदर्भ 

  • हाल ही में वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 के पहले 10 महीनों(जनवरी तक) में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 71 अरब डॉलर से अधिक हो गया।
  • वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, 2017-18 और 2020-21 के बीच चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा कम हो रहा था, लेकिन 2021-22 में यह बढ़कर 73.3 अरब डॉलर हो गया।

महत्वपूर्ण तथ्य 

  • जून 2022 तक चीन के साथ व्यापार में भारत का संचयी रूप से कुल घाटा 1 ट्रिलियन डॉलर से भी अधिक हो गया है।
  • वर्ष 2000 मे भारत-चीन व्यापार मात्र 3 अरब डॉलर का था। 
    • वर्ष 2000 के बाद भारत द्वारा चीनी मशीनरी एवं अन्य उपकरणों के आयात में वृद्धि होने के कारण 2008 में भारत-चीन व्यापार बढ़कर 42 अरब डॉलर तक पहुँच गया। 
    • 2008 में चीन, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया।
  • 2021 में, भारत-चीन व्यापार पहली बार 100 अरब डॉलर को पार करके 125.6 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
    • इसमे से भारत का आयात 97.5 अरब डॉलर तथा निर्यात सिर्फ 28.1 अरब डॉलर था।
  • भारत द्वारा चीन को सबसे अधिक निर्यात लौह अयस्क, कपास और अन्य कच्चे माल पर आधारित वस्तुओं का किया जाता है।
  • भारत द्वारा चीन से इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल मशीनरी, फार्मास्युटिकल सामग्री (APIs), ऑटो कंपोनेंट्स एवं ऑक्सीजन कंसंटेटर्स से लेकर पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPEs) तक विभिन्न प्रकार की मेडिकल सामग्री का आयात करता है।
  • भारत दुनिया को जिन फार्मास्यूटिकल्स का निर्यात करता है, उनके निर्माण के लिए चीन से आयात किए जाने वाले अवयवों की आवश्यकता होती है।

चीन पर निर्भरता कम करने के लिए भारत द्वारा किये गए प्रयास

  • भारत द्वारा देश मे 5जी सेवाओं के लिए आधारभूत ढांचे के निर्माण में चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। 
  • केंद्र सरकार द्वारा बहुत से संदिग्ध कार्यप्रणाली वाले चीनी ऐप्स को भी बैन कर दिया गया। 
  • भारत ने देश में निवेश लाने और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों के एक उच्च-स्तरीय अधिकार प्राप्त समूह और मंत्रालयों/विभागों में एक परियोजना विकास प्रकोष्ठ की स्थापना की है।
  • केंद्र सरकार ने भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से विदेशी निवेश के लिए अपनी पूर्व स्वीकृति अनिवार्य कर दी है, जिससे चीन से आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर रोक लगाई जा सकेगी।
  • एपीआई (Active Pharmaceutical Ingredients-APIs) के लिए चीन पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से, केंद्र सरकार ने 2020 में देश में थोक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए चार योजनाओं को मंजूरी प्रदान की।

विवाद के अन्य मुद्दे

  • भारत-चीन संबंधों में लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश आदि क्षेत्रों में सीमा विवाद एक अवरोधक की तरह कार्य करता है, जिसे लेकर 1962 में दोनों देशों के बीच युद्ध भी हो चुका है। 
  • ब्रम्हापुत्र नदी का जल-बंटवारा भी दोनों देशों के मध्य विवाद का एक प्रमुख कारण है, चीन द्वारा ब्रम्हापुत्र नदी के ऊपरी क्षेत्रों में बांध का निर्माण किया जा रहा है, जिससे भारत को मिलने वाले जल की मात्रा घट सकती है। 
  • भारत द्वारा चीन की मह्त्वाकांक्षी परियोजना CPEC का विरोध किया जाता है, क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र से गुजरती है, जो भारत की संप्रभुता और अखंडता में हस्तक्षेप है।  
  • भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आतंकवादियों पर प्रतिबंध की मांग करने वाले विभिन्न प्रस्तावों पर चीन द्वारा वीटो पॉवर का प्रयोग किया गया है।

आगे की राह

  • चीन पर निर्भरता कम करने के लिए भारत को विकास और निवेश को बढ़ावा देने के लिए भूमि और श्रम सुधार जैसे कार्यक्रमों की एक पूरी श्रृंखला तैयार करनी होगी।
  • भारत को इलेक्ट्रिकल मशीनरी और फार्मास्यूटिकल्स सहित प्रमुख क्षेत्रों में घरेलू उत्पादन को बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि वह आयात की उन महत्वपूर्ण श्रेणियों में बदलाव ला सके, जिनमें वह अभी चीन पर निर्भर है।
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