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जुगनू : स्वस्थ पर्यावरण के संकेतक

मौसम में परिवर्तन का संकेत देने वाले जुगनू जलवायु परिवर्तन के कारण समाप्त हो रहे हैं।

जुगनू

  • जुगनू कोलियोप्टेरा समूह (Coleoptera) के लैंपिरिडाइ परिवार (Lampyridae) से सम्बंधित हैं, जो पृथ्वी पर डायनासोर युग से विद्यमान हैं। अंटार्कटिका को छोड़कर सभी महाद्वीपों में जुगनू पाए जाते हैं।
  • विश्व में जुगनुओं की 2,000 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इन कीटों में पंख होते हैं, जो इन्हें इस परिवार के अन्य चमकने वाले कीटों से अलग करते हैं।
  • रोशनी उत्पन्न करने वाला अंग इनके पेट में होता है। ये विशेष कोशिकाओं से ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और इसे ‘लूसीफेरिन’ (Luciferin) नामक तत्त्व से मिला देते हैं, जिससे रोशनी उत्पन्न होती है। इस प्रकार उत्पन्न होने वाली रोशनी को ‘बायोल्यूमिनिसेंस’ (Bioluminescence) कहा जाता है। इस रोशनी में ताप लगभग न के बराबर होता है।
  • जुगनुओं की हर चमक का पैटर्न ‘साथी’ को तलाशने का प्रकाशीय संकेत होता है। हालाँकि, छिपकली जैसे जीव जब इन पर हमला करते है तो वे रक्त की बूंदें उत्पन्न करते हैं जिसमें विषयुक्त रसायन होते हैं।

पर्यावरण संकेतक के रूप में

  • जुगनू स्वस्थ पर्यावरण के भी संकेतक होते हैं क्योंकि ये बदलते हुए पर्यावरण के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। ये केवल स्वस्थ वातावरण में ही जीवित रह सकते हैं।
  • जुगनू ऐसे स्थानों पर रहते हैं, जहाँ जल जहरीले रसायनों से मुक्त होता है और भूमि व मृदा जीवन के लिये सहायक होती है तथा प्रकाश प्रदूषण न्यूनतम होता है।

प्रकाश प्रदूषण :

  • प्रकाश प्रदूषण को ‘फोटो पौल्यूशन’ या ‘लुमिनस पौल्यूशन’ के रूप में भी जाना जाता है। रात्रि के समय बढ़ते कृत्रिम प्रकाश को प्रकाश प्रदूषण के रूप में जाना जाता है। मानवजनित और कृत्रिम प्रकाश वातावरण में प्रकाश प्रदूषण का एकमात्र कारण है।
  • प्रकाश प्रदूषण रात्रि के समय आसमान को धुंधला कर देता है और तारों के प्रकाश तथा सर्कैडियन चक्र (अधिकतर जीवों की 24 घंटे की प्रक्रिया) को भी बाधित करता है, जिससे पर्यावरण, ऊर्जा संसाधन, वन्यजीव, मानव व खगोल विज्ञान सम्बंधी शोध प्रभावित होते हैं।

उपयोगिता

  • जुगनू मुख्यत: पराग या मकरंद के सहारे जीवित रहते हैं तथा बहुत से पौधों के परागण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • जुगनुओं की उपयोगिता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वैज्ञानिक इसके चमकने के गुण का प्रयोग करके कैंसर व अन्य बीमारियों का पता लगा रहे हैं।
  • उदाहरणस्वरुप स्विट्ज़रलैंड के शोधकर्ताओं ने जुगनुओं को चमकने में सहायक प्रोटीन को एक केमिकल में मिलाया और जब उसे ट्यूमर कोशिका जैसे दूसरे मॉलेक्यूलर से जोड़ा गया तो यह चमक उठा।

संख्या में गिरावट

  • जुगनुओं की आबादी कई कारणों से कम हो रही है। इसमें पेड़ों की कटाई व बढ़ता औद्योगीकरण प्रमुख है।
  • साथ ही, प्रवासन भी एक समस्या है। कभी-कभी जुगनू ऐसे स्थानों पर चले जाते हैं, जहाँ इनके रहने के लिये नमी और आर्द्रता जैसी अनुकूल परिस्थितियाँ विद्यमान नहीं होती।
  • प्रकाश प्रदूषण के कारण जुगनू एक-दूसरे का प्रकाश नहीं देख पाते, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से उनका जैविक चक्र प्रभावित होता है।
  • कीटनाशकों से भी जुगनुओं के सामने संकट उत्पन्न हो गया है। जुगनू के जीवन का एक बड़ा हिस्सा लार्वा के रूप में भूमि, भूमि के नीचे या जल में बीतता है, जहाँ इन्हें कीटनाशकों से खतरा रहता है।
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