(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन; संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन) |
संदर्भ
अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) द्वारा शिपिंग उद्योग पर वैश्विक कार्बन टैक्स लगाने के संबंध में निर्णय लिया गया जिस पर भारत समेत 63 देशों ने पक्ष में मतदान किया।
शिपिंग उद्योग पर वैश्विक टैक्स के बारे में
- परिचय : यह टैक्स (कर) जहाजों को उनके उत्सर्जन तीव्रता के अनुसार ‘प्रदूषण करो, भुगतान करो’ की नीति पर केंद्रित है।
- ऐसा पहली बार है जब किसी पूरे वैश्विक उद्योग पर कार्बन टैक्स लगाया जा रहा है।
शिपिंग उद्योग पर वैश्विक टैक्स का उद्देश्य
- कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना : IMO का लक्ष्य वर्ष 2030 तक शिपिंग क्षेत्र के उत्सर्जन में कम से कम 20% की कमी लाना है।
- स्वच्छ तकनीक को बढ़ावा देना : यह टैक्स कंपनियों को हरित तकनीकों की ओर प्रोत्साहित करेगा।
- प्रदूषण पर नियंत्रण : शिपिंग उद्योग से होने वाले प्रदूषण में कमी
टैक्स का क्रियान्वयन
- यह नीति वर्ष 2025 से लागू होने की संभावना है।
- जहाजों को उनके उत्सर्जन की तीव्रता के अनुसार टैक्स देना होगा।
- पारंपरिक ईंधन इस्तेमाल करने वाले जहाजों को:
- $380 प्रति टन टैक्स देना होगा जोकि उनके सबसे प्रदूषणकारी हिस्से पर होगा।
- $100 प्रति टन अन्य अतिरिक्त उत्सर्जन पर।
प्रस्ताव के संदर्भ में विभिन्न देशों की स्थिति
- समर्थक देश : इस प्रस्ताव का समर्थन करने वाले 63 देशों में भारत, चीन, ब्राज़ील जैसे विकासशील देश शामिल हैं।
- विरोध करने वाले देश : विरोध करने वाले विभिन्न तेल-समृद्ध देशों में सऊदी अरब, रूस, संयुक्त अरब अमीरात, वेनेजुएला आदि शामिल हैं।
- अमेरिका ने इसमें भाग नहीं लिया और वोटिंग से भी अनुपस्थित रहा।
शिपिंग उद्योग पर वैश्विक टैक्स के लाभ
- समुद्री क्षेत्र का डीकार्बनाइजेशन : कार्बन कर से प्राप्त समस्त राजस्व को समुद्री क्षेत्र को कार्बन मुक्त करने के लिए उपयोग में लाया जाएगा।
- संभावित आय : वर्ष 2030 तक इस टैक्स से $40 अरब डॉलर तक की आय अनुमानित है।
- कार्बन उत्सर्जन में कमी : 10% तक कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने का अनुमान
शिपिंग उद्योग पर वैश्विक टैक्स की आलोचनाएँ
- टैक्स की इस प्रणाली में विकासशील एवं छोटे द्वीपीय देशों के लिए किसी वित्तीय सहायता का प्रावधान नहीं किया गया है जबकि वे जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित हैं।
- IMO का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 20% उत्सर्जन में कमी लाना था किंतु वर्तमान योजना से केवल 10% कमी ही अनुमानित है।
अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) के बारे में
- स्थापना : वर्ष 1948 में एक अंतर्राष्ट्रीय संधि के तहत की गई थी और यह 1959 से सक्रिय है।
- मुख्यालय : लंदन, यूनाइटेड किंगडम
- कार्य :
- समुद्री परिवहन की सुरक्षा और पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- अंतरराष्ट्रीय समुद्री नियमों का निर्माण और निगरानी।
- जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु शिपिंग क्षेत्र में सुधार करना।
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