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फ्लोरेसेंट सेंसर

(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव, संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ 

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), गुवाहाटी के रसायन विज्ञान विभाग की एक शोध टीम ने एक फ्लोरेसेंट सेंसर विकसित किया है जो जल एवं जीवित कोशिकाओं में सायनाइड की पहचान करने में सक्षम है। यह अनुसंधान भारत की वैज्ञानिक प्रगति और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

क्या है सायनाइड 

  • यह एक अत्यधिक विषैला रसायन है जिसका उपयोग कई औद्योगिक प्रक्रियाओं में किया जाता है, जिसमें सिंथेटिक फाइबर, प्लास्टिक, धातु की सफाई, इलेक्ट्रोप्लेटिंग एवं सोने की खनन आदि शामिल हैं। 
  • इसके अनुचित निपटान से यह मिट्टी एवं जल स्रोतों में मिल जाता है, जिससे मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इसकी केवल थोड़ी-सी मात्रा भी शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बाधित कर सकती है और मृत्यु तक का कारण बन सकती है। 

फ्लोरेसेंट सेंसर की प्रमुख विशेषताएँ 

  • ‘टर्न-ऑन’ फ्लोरेसेंट सेंसर : यह सेंसर सायनाइड की उपस्थिति में अपनी चमक को बढ़ाता है जिससे निगरानी ज्यादा विश्वसनीय बनती है।
    • सामान्यतः प्रयुक्त ‘टर्न-ऑफ’ सेंसर प्रकाश को मंद करते हैं जिससे गलत निगेटिव परिणामों की आशंका रहती है।
  • उच्च संवेदनशीलता : यह सेंसर केवल 0.2 माइक्रोमोलर सायनाइड की उपस्थिति को भी पहचान सकता है जो WHO द्वारा निर्धारित 1.9 माइक्रोमोलर सीमा से काफी कम है।
  • वास्तविक नमूनों में उपयोग : यह सेंसर नदी एवं नल के पानी जैसे वास्तविक नमूनों में 75–93% सटीकता के साथ कार्य करता है।
  • जीवित कोशिकाओं में परीक्षण : इसे ब्रेस्ट कैंसर कोशिकाओं में भी सायनाइड की पहचान के लिए सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया है जिससे इसके फोरेंसिक एवं बायोमेडिकल अनुप्रयोगों की संभावनाएँ खुलती हैं।
    • यह सेंसर स्मार्ट सेंसर डिवाइस के रूप में भी कार्य कर सकता है जो भविष्य में रीयल टाइम विषाक्त रसायनों की निगरानी में सहायक होगा।

प्रौद्योगिकीय आधार एवं क्रियाविधि

  • इस सेंसर का रासायनिक आधार 2-(4′-डाइएथाइलअमीनो-2′-हाइड्रॉक्सीफिनाइल)-1एच-इमिडाजो-[4,5-बी]पाइरीडीन यौगिक है।
  • यह विशेष यौगिक सायनाइड से विशिष्ट प्रतिक्रिया करता है और प्रकाश की तीव्रता को बढ़ाता है।
  • सेंसर अल्ट्रावायलट (UV) प्रकाश की सहायता से कार्य करता है जिससे इसकी दृश्यता व प्रयोग की सटीकता में वृद्धि होती है।

पर्यावरणीय और सामाजिक महत्त्व

  • जल प्रदूषण की त्वरित पहचान : यह सेंसर औद्योगिक अपशिष्टों में मौजूद सायनाइड के कारण होने वाले जल स्रोतों के प्रदूषण की तुरंत पहचान करने में सहायक हो सकता है।
  • स्वास्थ्य सुरक्षा : सायनाइड के संपर्क से होने वाली आकस्मिक विषाक्तता की रोकथाम के लिए यह तकनीक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
  • फील्ड फ्रेंडली उपकरण : सेंसर को पेपर स्ट्रिप्स के रूप में भी विकसित किया जा सकता है जिससे यह पोर्टेबल परीक्षण किट के रूप में ग्रामीण व औद्योगिक क्षेत्रों में प्रयोग किया जा सकता है।

आगे की राह 

  • नीतिगत दृष्टिकोण : पर्यावरणीय निगरानी और औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन की नीतियों में इस तकनीक को शामिल किया जा सकता है।
  • स्टार्टअप एवं नवाचार : इस सेंसर के व्यावसायिक मॉडल के माध्यम से मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसे अभियानों को बल मिल सकता है।
  • रक्षा एवं आपातकालीन सेवाओं में उपयोग : विषाक्त रसायनों की त्वरित पहचान सेना, सुरक्षा बलों एवं आपदा प्रबंधन बलों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकती है।
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