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विदेशी एवं आप्रवासन अधिनियम, 2025

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।)

संदर्भ

1 सितम्बर 2025 से संसद द्वारा पारित ‘विदेशी एवं आप्रवासन अधिनियम, 2025’ लागू हो गया है, जिसने आप्रवासन संबंधी सभी बिखरे हुए कानूनों को एकीकृत कर दिया है।

नए विदेशी अधिनियम के बारे में

  • अधिनियम का नाम: The Immigration and Foreigners Act, 2025
  • लागू होने की तिथि: 1 सितम्बर 2025 से
  • उद्देश्य: विदेशी नागरिकों के प्रवेश, ठहराव, आवाजाही और निकासी को सुव्यवस्थित करना तथा डिजिटल और केंद्रीकृत निगरानी व्यवस्था बनाना।
  • संसद में पारित
    • लोकसभा: 27 मार्च 2025 को पारित
    • राज्यसभा: 2 अप्रैल 2025 को पारित
    • राष्ट्रपति की स्वीकृति: 4 अप्रैल 2025
  • इस अधिनियम ने निम्न पुराने कानूनों को समाप्त कर दिया:
    • The Passport (Entry into India) Act, 1920
    • The Registration of Foreigners Act, 1939
    • The Foreigners Act, 1946
    • The Immigration (Carriers’ Liability) Act, 2000

मुख्य प्रावधान

  • वैध दस्तावेज़ आवश्यक : पासपोर्ट व वीज़ा अनिवार्य (कुछ विशेष श्रेणियों को छोड़कर)।
  • प्रवेश और निकासी : केवल सरकार द्वारा अधिसूचित हवाई अड्डों, समुद्री बंदरगाहों, रेल और स्थलीय सीमा पोस्ट से।
  • इमीग्रेशन अधिकारियों की शक्ति : प्रवेश/निकासी पर अंतिम निर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर रोक लगाने की शक्ति।
  • पंजीकरण व्यवस्था : विदेशी नागरिकों का स्थानीय SP/DCP या FRRO (Foreigners Regional Registration Office) के माध्यम से पंजीकरण।
  • आवास प्रदाता की जिम्मेदारी : होटल, हॉस्टल, धार्मिक संस्थाएं आदि को विदेशी नागरिकों की जानकारी 24 घंटे के भीतर ऑनलाइन भेजनी होगी।
  • शैक्षिक और चिकित्सीय रिपोर्टिंग : विश्वविद्यालयों व अस्पतालों को प्रवेश, जन्म और मृत्यु की रिपोर्ट देनी होगी।
  • प्रतिबंधित क्षेत्र अनुमति : प्रतिबंधित/संरक्षित क्षेत्रों में जाने के लिए विशेष परमिट आवश्यक।
  • डिजिटल रिकॉर्ड : सभी सूचना पोर्टल और मोबाइल ऐप पर उपलब्ध।
  • जुर्माना व दंड : उल्लंघन पर 10,000 से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना; कुछ समुदायों के लिए न्यूनतम 50 रुपये तक।
  • अपील व्यवस्था : मानवीय आधार पर अपील व छूट की गुंजाइश।

छूट प्राप्त श्रेणियां

  • भारत के सैन्यकर्मी व उनके परिवार (सरकारी परिवहन से)।
  • नेपाल व भूटान के नागरिक (विशेष मार्गों से प्रवेश करने पर)।
  • तिब्बती शरणार्थी (1959 से 2003 तक या बाद में अनुमोदित प्रवेश पर)।
  • अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यक शरणार्थी (31 दिसम्बर 2024 तक प्रवेश करने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई)।
  • पंजीकृत श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी (9 जनवरी 2015 तक)।
  • कुछ देशों के राजनयिक पासपोर्ट धारक।
  • मानवीय या सैन्य अभ्यास हेतु आने वाले विदेशी सैन्यकर्मी।

क्यों आवश्यक था नया अधिनियम

  • पुराने कानून बिखरे हुए और अस्पष्ट थे।
  • प्रवासी डाटा संग्रहण मैनुअल था, जिससे सुरक्षा जोखिम और सूचना गैप बने रहते थे।
  • स्थानीय और केंद्रीय अधिकारियों के बीच अधिकारों को लेकर भ्रम था।
  • शरणार्थियों और पड़ोसी देशों से आए समूहों को लेकर अस्पष्ट प्रावधान थे।

महत्त्व

  • सभी कानूनों का एकीकरण : पारदर्शिता और सरलता।
  • डिजिटल रिपोर्टिंग : तेज़ और सटीक निगरानी।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा : बेहतर नियंत्रण।
  • अदालतों का बोझ कम : जुर्माना व कम्पाउंडिंग से त्वरित समाधान।

चिंताएं

  • अत्यधिक केंद्रीकरण : राज्यों की भूमिका सीमित।
  • प्रशासन : होटल, विश्वविद्यालय, अस्पतालों पर अतिरिक्त प्रशासनिक बोझ।
  • नागरिकता: शरणार्थियों और अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता से संबंधित अस्पष्टता बनी रह सकती है।
  • गोपनीयता : डाटा सुरक्षा को लेकर चिंता।

आगे की राह

  • राज्यों और केंद्र के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित करना।
  • शरणार्थियों और शरण लेने वालों के लिए स्पष्ट दीर्घकालिक नीति।
  • डाटा सुरक्षा और निजता से जुड़े प्रावधानों को मजबूत करना।
  • मानवीय आधार पर अपील और छूट को अधिक पारदर्शी बनाना।
  • अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार वीज़ा और आप्रवासन प्रक्रियाओं का सरलीकरण।

निष्कर्ष

यह अधिनियम भारत की आप्रवासन व्यवस्था को डिजिटल, पारदर्शी और केंद्रीकृत बनाता है। हालांकि, इसके सफल क्रियान्वयन के लिए मानवाधिकार, राज्यों की भूमिका और डाटा सुरक्षा जैसे मुद्दों पर गंभीर ध्यान देना आवश्यक होगा।

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