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राजा राममोहन रॉय: आधुनिक भारत के अग्रदूत

बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में राजा राममोहन रॉय को ‘ब्रिटिश एजेंट’ और ‘मिशनरियों का सहयोगी’ बताने को लेकर विवाद उप्तन्न हो गया।

राजा राममोहन रॉय : जीवन परिचय

  • पूरा नाम: राममोहन रॉय
  • जन्म: 22 मई, 1772, राधानगर (वर्तमान पश्चिम बंगाल, हुगली जिला)
  • मृत्यु: 27 सितंबर, 1833, ब्रिस्टल (इंग्लैंड)
  • उपाधि: मुगल सम्राट अकबर द्वितीय द्वारा ‘राजा’ की उपाधि दी गई।
  • उपनाम: भारतीय पुनर्जागरण का पिता, आधुनिक भारत का निर्माता, ब्रह्म समाज के संस्थापक

प्रारंभिक जीवन

  • धनी ब्राह्मण परिवार में जन्मे। पिता रामकांत रॉय मुगल दरबार में नौकरी करते थे।
  • 14 भाषाएँ सीखीं– संस्कृत, फारसी, अरबी, अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, ग्रीक, लैटिन आदि।
  • 15 वर्ष की आयु में ही वेदांत, उपनिषद एवं इस्लाम के सूफी विचारों पर गहरी पकड़।
  • 16 वर्ष की आयु में मूर्तिपूजा के खिलाफ पहला लेख लिखा, जिससे घर छोड़ना पड़ा।

करियर

  • वर्ष 1803-1814: ईस्ट इंडिया कंपनी में दीवान के रूप में कार्य किया।
  • वर्ष 1814 में कंपनी की नौकरी छोड़कर पूरी तरह समाज सुधार में लग गए।
  • वर्ष 1828 में ब्रह्म सभा (बाद में ब्रह्म समाज) की स्थापना की।

सामाजिक सेवा

  • वर्ष 1829 में लॉर्ड विलियम बैंटिंक ने सती प्रथा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया, जिसका श्रेय मुख्य रूप से राममोहन को जाता है।
  • विधवा विवाह का समर्थन किया।
  • बहुविवाह, बाल-विवाह और जाति प्रथा का विरोध किया।
  • महिलाओं को संपत्ति में अधिकार और शिक्षा का अधिकार दिलाने की वकालत की।
  • अंग्रेजी शिक्षा और पश्चिमी विज्ञान का पक्षधर होने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति के प्रति भी सम्मानक थे।

प्रमुख उपलब्धियाँ

  • 1829: सती प्रथा पर कानूनी रोक
  • 1828: ब्रह्म समाज की स्थापना– एकेश्वरवाद, मूर्तिपूजा का विरोध, सभी धर्मों के अच्छे तत्वों को अपनाने की शिक्षा
  • 1817: कलकत्ता में हिंदू कॉलेज (अब प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी) की स्थापना में सहयोग
  • 1822: आंग्ल-हिंदू स्कूल और वेदांत कॉलेज की स्थापना
  • 1825: पहली बांग्ला साप्ताहिक अखबार ‘संवाद कौमुदी’ की शुरूआत 
  • प्रेस की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। 

प्रमुख पुस्तकें एवं ग्रंथ

  • तुहफत-उल-मुवाहिदीन (1804) एकेश्वरवाद पर पहली पुस्तक 
  • गिफ्ट टु मोनोथीइस्ट्स (अंग्रेजी में)
  • प्रेसीप्ट्स ऑफ जीसस (ईसाई धर्म की तुलना)
  • वेदांत ग्रंथ (संस्कृत से बांग्ला अनुवाद)
  • वेदांत सार

योगदान

  • भारतीय समाज को अंधविश्वास, कुरीतियों और रूढ़ियों से मुक्त करने का पहला बड़ा प्रयास।
  • धर्म को तर्क और मानवता के आधार पर देखने की नई सोच दी।
  • हिंदू धर्म में सुधार लाकर उसे आधुनिक युग के अनुकूल बनाया।
  • भारतीय और पश्चिमी ज्ञान का सुंदर समन्वय किया।
  • प्रेस की आजादी, महिलाओं के अधिकार और शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाई।

विरासत

  • आज भी ब्रह्म समाज भारत और बांग्लादेश में सक्रिय हैं।
  • सती प्रथा पर रोक उनके जीवन का सबसे बड़ा कार्य रहा।
  • संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें ‘मानवाधिकारों का प्रथम भारतीय चैंपियन’ कहा है।
  • भारत सरकार ने वर्ष 1972 में उनके जन्म की 200वीं वर्षगांठ पर डाक टिकट जारी किया।
  • कोलकाता में राजा राममोहन रॉय मेमोरियल म्यूजियम है।
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