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जी-20 : ध्रुवीकृत दुनिया में एक बहुपक्षीय मंच

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्यन प्रश्नपत्र- 2 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

संदर्भ

हाल ही में, जी-20 (G-20) देशों का शिखर सम्मेलन इंडोनेशिया की राजधानी बाली में आयोजित किया गया।

सम्मलेन के प्रमुख बिंदु

  • इस सम्मेलन में दो महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किये गए। पहला सत्र बहुपक्षवाद को मजबूत करने पर आयोजित किया गया। साथ ही, इसने वैश्विक सहयोग को मजबूत करने और देशों के बीच आपसी विश्वास को बढ़ावा दिया। इसका उद्देश्य वैश्विक स्थिरता, शांति व विकास को समर्थन देना है। 
  • दूसरा सत्र खाद्य और ऊर्जा संकट पर आधारित था। इसमें खाद्य असुरक्षा, उर्वरक की कमी और बढ़ती वैश्विक वस्तुओं की कीमतों से निपटने के लिये रणनीतिक कार्रवाइयों पर विचार विमर्श किया गया । 
  • जी-20 के विदेश मंत्रियों ने यूक्रेन में युद्ध और अनाज की नाकाबंदी को समाप्त करने का आह्वान किया। इस बार जी-20 समूह में उभरते मतभेद को भी महसूस किया गया।
  • रूस ने संयुक्त राज्य अमेरिका पर आरोप लगाया है कि उसने यूरोप और शेष विश्व को सस्ते ऊर्जा स्रोतों को छोड़ने के लिये मजबूर कर दिया है, जबकि अमेरिका ने वैश्विक खाद्य असुरक्षा के लिये रूस को जिम्मेदार ठहराया है।

वर्तमान परिदृश्य 

  • वर्तमान में जी-20 देशों में यूरोपीय संघ सहित अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य (दक्षिण कोरिया), मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल है।
  • इसके अतिरिक्त स्पेन सहित संयुक्त राष्ट्रसंघ, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, आसियान, अफ्रीकी संघ आदि जैसी कई अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां स्थायी रूप से आमंत्रित सदस्य हैं।
  • वर्तमान में जी-20 के सदस्य देशों की वैश्विक आबादी में 60%, वैश्विक व्यापार में 75% और विश्व सकल घरेलू उत्पाद में 80% से अधिक की हिस्सेदारी है ।
  • चीन के रणनीतिक उदय, नाटो के विस्तार और जॉर्जिया एवं क्रीमिया में रूस के आक्रमण ने जी-20 देशों की वैश्विक प्राथमिकताओं को परिवर्तित कर दिया है।
  • साथ ही, बहुपक्षीय संगठनों के पास विश्वसनीयता का संकट है, क्योंकि वैश्विक रूप से सभी देश जी-7, जी-20, ब्रिक्स, पी-5 (UNSC के स्थायी सदस्य) और अन्य संगठनों के सदस्य देश को 'जी-जीरो' (राजनीतिक टिप्पणीकार इयान ब्रेमर द्वारा 'प्रत्येक राष्ट्र को स्वयं के लिये', को निरूपित करने के लिये गढ़ा गया एक शब्द) के रूप में निरुपित किया गया है । 

जी-20 की कार्यप्रणाली

  • जी-20 का कोई स्थायी मुख्यालय नहीं है और इसका सचिवालय प्रत्येक वर्ष इस समूह की अध्यक्षता करने वाले देशों के बीच चक्रीय रूप से बदलता रहता है। 
  • जी-20 सदस्यों को 5 समूहों में बाँटा गया है (रूस, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की के साथ भारत समूह 2 में है)। 
  • जी-20 के एजेंडे को 'शेरपा' की एक अनूठी प्रणाली द्वारा अंतिम रूप दिया जाता है, जो जी-20 नेताओं के विशेष दूत होते हैं। 
  • जी-20 की एक अन्य विशेषता 'ट्रोइका' बैठकें हैं, जिसमें विगत वर्ष, वर्तमान वर्ष और अगले वर्ष में जी-20 की अध्यक्षता करने वाले देश शामिल होते हैं। वर्तमान में, ट्रोइका इटली, इंडोनेशिया और भारत से मिलकर बना है।

भारत और जी-20

  • भारत बाली एजेंडा पर आम सहमति बनाने के लिये इंडोनेशिया के साथ कार्य करने हेतु अधिक मुखर रहा है।
  • नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत को भारतीय प्रधानमंत्री का जी-20 शेरपा और पूर्व विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला को जी-20 का समन्वयक नियुक्त किया गया है। 
  • जी-20 का आयोजन स्थल दिल्ली का प्रगति मैदान संभावित है। 
  • हालाँकि, भारत के लिये बड़ी चुनौती जी-20 के आदर्श की रक्षा करने में इंडोनेशिया की सहायता करने और भू-राजनीतिक संकटों के कारण इस समूह को विभाजित होने से बचाए रखने की होगी।
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