अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance: ISA) ने भारत सहित 17 देशों में वैश्विक सौर अनुसंधान एवं नवाचार केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है।
मुख्य विशेषताएँ
- उद्देश्य: सौर प्रौद्योगिकियों में अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास, नवाचार व विनिर्माण को बढ़ावा देना
- कार्य: यह केंद्र कम लागत वाली सौर प्रौद्योगिकी, भंडारण समाधान, ग्रिड एकीकरण और लचीली आपूर्ति शृंखलाओं पर ध्यान केंद्रित करेगा।
- वैश्विक प्रभाव: आई.एस.ए. के 120 से अधिक सदस्य देशों के बीच प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सहयोग को मजबूत करने का लक्ष्य
भारत के लिए महत्त्व
- वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता और वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य के लक्ष्यों के अनुरूप स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में भारत के नेतृत्व को सुदृढ़ करता है।
- वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र में भारत की स्थिति को मजबूत करता है।
- ऊर्जा सुरक्षा, आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) और हरित औद्योगिक विकास को बढ़ावा देता है।
- सौर ऊर्जा में दक्षिण-दक्षिण सहयोग को प्रोत्साहित करता है।
निष्कर्ष
भारत में एक वैश्विक सौर अनुसंधान केंद्र की स्थापना, सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में एक वैश्विक नेता और नवप्रवर्तक बनने की भारत की महत्वाकांक्षा को रेखांकित करता है।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन भारत एवं फ्रांस द्वारा स्थापित एक वैश्विक संगठन है।
- इसकी संकल्पना वर्ष 2015 में पेरिस में आयोजित जलवायु सम्मेलन के दौरान की गई थी। इसका मुख्यालय गुरुग्राम, हरियाणा में है।
- वर्तमान में 105 से अधिक देश इसके सदस्य हैं।
- मुख्य लक्ष्य : वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा को अपनाने को प्रोत्साहित करना
- इसका घोषित मिशन वर्ष 2030 तक सौर ऊर्जा में 1 ट्रिलियन डॉलर का निवेश प्राप्त करना और साथ ही प्रौद्योगिकी एवं वित्तीय लागत को कम करना है।
भारत की वर्तमान सौर ऊर्जा क्षमता
- आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, जुलाई 2025 तक भारत ने कुल मिलाकर लगभग 119 गीगावाट सौर क्षमता स्थापित कर ली है।
- नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार भारत ने अपनी लगभग 484 गीगावाट की कुल विद्युत क्षमता का 50% गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य हासिल कर लिया है।
- भारत की स्थापित गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता का लगभग 48% सौर ऊर्जा से आता है।
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