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शिकायत निवारण तंत्र क्या है ? महत्त्व ,प्रमुख मुद्दे और सुधार 

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में, केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय (MoPPG&P) ने लोक शिकायतों से निपटने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। 
  • ये दिशा-निर्देश शिकायत निवारण तंत्र को समयबद्ध, सुलभ और सार्थक बनाने के उद्देश्य से तैयार किए गए हैं। 
  • इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि नागरिकों की शिकायतों का समाधान त्वरित, पारदर्शी और प्रभावी ढंग से हो।

Grievance-Redressal-Mechanism

मुख्य दिशा-निर्देश

  • एकीकृत प्लेटफॉर्म – CPGRAMS 10
    नागरिकों की शिकायतों का समाधान सिंगल विंडो (एक ही स्थान) से करने हेतु एक यूजर-फ्रेंडली और एकीकृत शिकायत दर्ज करने वाला प्लेटफॉर्म विकसित किया जाएगा।
  • नोडल अधिकारियों की नियुक्ति
    सभी मंत्रालयों और विभागों में लोक शिकायतों के समाधान के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे।
  • शिकायत प्रकोष्ठ की स्थापना
    प्रत्येक मंत्रालय/विभाग में योजनाओं और गतिविधियों की जानकारी रखने वाले डेडिकेटेड शिकायत प्रकोष्ठ स्थापित किए जाएंगे।
  • समय-सीमा में सुधार
    प्रभावी शिकायत निवारण की मौजूदा समय-सीमा 30 दिन से घटाकर 21 दिन कर दी गई है।

शिकायत निवारण तंत्र (GRM) क्या है?

  • शिकायत निवारण तंत्र किसी संगठन की प्रभावशीलता मापने का महत्वपूर्ण उपकरण है। 
  • यह नागरिकों और सरकारी संस्थाओं के बीच फीडबैक का माध्यम बनता है और शिकायतों के समाधान के जरिये सरकारी काम-काज में सुधार की दिशा में मदद करता है।

केंद्र सरकार में प्रमुख नोडल एजेंसियां:

  • DARPG (Department of Administrative Reforms and Public Grievances) – MoPPG&P के अधीन।
  • लोक शिकायत निदेशालय – कैबिनेट सचिवालय के अधीन।

CPGRAMS पोर्टल की विशेषताएं:

  • 24x7 ऑनलाइन उपलब्ध।
  • सभी मंत्रालयों और विभागों से जुड़ा सिंगल पोर्टल
  • अधिकारियों को शिकायतों तक भूमिका-आधारित पहुंच प्रदान करता है।
  • 2022-2024 में लगभग 60 लाख शिकायतों का निवारण किया गया।
  • 1.01 लाख शिकायत निवारण अधिकारियों की मैपिंग की गई।

शिकायत निवारण तंत्र का महत्त्व

  • विश्वास का निर्माण: यह सरकार और नागरिकों के बीच भरोसा पैदा करता है।
  • जवाबदेही सुनिश्चित करना: सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही को मजबूत करता है।
  • सुधार की दिशा: नागरिकों के फीडबैक के आधार पर सरकारी नीतियों और उपायों में बाधाओं की पहचान संभव होती है।
  • भ्रष्टाचार से लड़ाई: सुरक्षित चैनल प्रदान कर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को रोकता है।
  • अधिकारों की सुरक्षा: नागरिकों के संवैधानिक और कानूनी अधिकारों की रक्षा करता है।

अन्य शिकायत निवारण पहलें

  • संवैधानिक और वैधानिक संस्थान:
    • उदाहरण: CVC, लोकायुक्त, NHRC, SHRC।
    • भ्रष्टाचार, पद के दुरुपयोग और मानवाधिकार उल्लंघनों से संबंधित मामलों का समाधान।
  • शिकायत निवारण मूल्यांकन सूचकांक (GRAI):
    • DARPG द्वारा विकसित, संसदीय स्थायी समिति की सिफारिश पर।
  • प्रगति / PRAGATI:
    • बहु-उद्देश्यीय और मल्टी-मॉडल प्लेटफॉर्म।
    • योजनाओं और परियोजनाओं की निगरानी एवं समीक्षा।
  • ई-निवारण:
    • केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की पहल।
    • करदाताओं की शिकायतों का शीघ्र समाधान।
  • नागरिक चार्टर:
    • लोक सेवा प्रदान करने वाले संगठनों से जुड़ी शिकायतों का समाधान।

शिकायत निवारण तंत्र से जुड़े प्रमुख मुद्दे

  • शिकायत निपटान में देरी:
    • कई शिकायतें निर्धारित समय-सीमा से अधिक समय तक लंबित रहती हैं।
  • भ्रष्ट आचरण:
    • अधिकारियों द्वारा रिश्वत मांगने या जानबूझकर देरी/हेरफेर की घटनाएं।
  • एकीकरण का अभाव:
    • राज्यों के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स के कारण शिकायतें दर्ज और ट्रैक करना मुश्किल।
  • डिजिटल डिवाइड:
    • ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट या डिजिटल साक्षरता की कमी।

सुधार और भविष्य की दिशा

  • द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशें:
    • राज्यों में स्वतंत्र लोक शिकायत निवारण प्राधिकरण की स्थापना।
    • शिकायतों का गहन विश्लेषण और समस्याओं के स्रोत की पहचान।
  • संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशें (25वीं रिपोर्ट):
    • तंत्र सुलभ, सरल, त्वरित, निष्पक्ष और उत्तरदायी होना चाहिए।
    • RTI अधिनियम की तरह वैधानिक रूप में स्थापना।
    • सभी शिकायतों को अंतिम निपटान तक आगे बढ़ाने की व्यवस्था।
  • विकेंद्रीकरण और प्रक्रिया सरल बनाना:
    • स्थानीय कार्यालयों को सशक्त करना।
    • कागजी कार्रवाई कम करना और सूचना एवं सुविधा काउंटर स्थापित करना।
  • निगरानी और फीडबैक तंत्र:
    • समय-समय पर लेखा परीक्षा।
    • प्रमुख प्रदर्शन संकेतक जैसे- प्रतिक्रिया समय, समाधान दर, नागरिक संतुष्टि।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग:
    • AI आधारित शिकायत वर्गीकरण और प्राथमिकता निर्धारण।
    • डेटा विश्लेषण से नीति निर्माण और संसाधन आवंटन में मदद।

निष्कर्ष

  • शिकायत निवारण तंत्र में एकीकरण, विकेंद्रीकरण और प्रौद्योगिकी का समुचित प्रयोग सरकार और नागरिकों के बीच विश्वास बढ़ाता है। 
  • इससे न केवल सेवा प्रदायगी में सुधार होता है बल्कि प्रशासनिक दक्षता और नागरिक-केंद्रित शासन की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं।

अंततः, मजबूत शिकायत निवारण तंत्र ही एक उत्तरदायी और पारदर्शी शासन की नींव है।

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