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जी.एस.टी. क्षतिपूर्ति समयावधि में विस्तार की मांग

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाओं से संबंधित प्रश्न)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ)

संदर्भ

हाल ही में, तमिलनाडु सरकार ने ‘वस्तु एवं सेवा कर’ (Goods and Services Tax- GST)के तहत राज्यों को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति की समयावधि में वृद्धि की मांग की है।

क्या है जी.एस.टी. क्षतिपूर्ति?

  • जी.एस.टी. अधिनियम, 2016 के माध्यम सेराज्यों को राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST) तथा एकीकृत जी.एस.टी. के एक हिस्से के रूप मेंराजस्व प्राप्ति का प्रावधान किया गया है।
  • इसमें यह भी प्रावधान है कि नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था से राज्यों को होने वाली राजस्व हानि की क्षतिपूर्ति अगले पाँच वर्ष तक केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी। यह पाँच वर्ष की निर्धारित समय-सीमा जून, 2022 में समाप्त हो रही है।
  • राजस्व हानि की गणना वर्ष 2015-16 को आधार वर्ष मानकर जी.एस.टी. में शामिल किये गए राज्य करों से होने वाले राजस्व संग्रह के आधार पर की गई। प्रत्येक वर्ष इसमें 14% की वृद्धि का भी प्रावधान किया गया।
  • तंबाकू उत्पादों, ऑटोमोबाइल, कोयला तथा ठोस ईंधन पर जी.एस.टी. क्षतिपूर्ति उपकर लगाकर राज्यों को राजस्व की क्षतिपूर्ति हेतु एक कोष के गठन का भी प्रावधान किया गया था।

क्षतिपूर्ति समयावधि में विस्तार की मांग क्यों?

  • जी.एस.टी. कार्यान्वयन  के पहले दो वर्षों में राज्यों को भुगतान की गई क्षतिपूर्ति की राशि की तुलना में क्षतिपूर्ति उपकर से संगृहीत राशि अधिक थी। 
  • परंतु वर्ष 2020-21 में लगे लॉकडाउनके कारण राज्यों को राजस्व की हानि का अनुमान3 लाखकरोड़ रुपए लगाया गया,जबकि केंद्र को क्षतिपूर्ति उपकर से65,000 करोड़ रुपए ही प्राप्तहुए।
  • शेष 2.35 लाखकरोड़ रुपएमेंसे, 1.1 लाख करोड़ रुपए का भुगतान केंद्र सरकार ने एक विशेष खिड़की के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक से उधार लेकर किया तथा अन्य शेष राशिभविष्यमेंक्षतिपूर्तिउपकरसंग्रहसेब्याजऔरपुनर्भुगतान के लिये केंद्र सरकार ने प्रस्ताव दिया। हालाँकि, पूरे मुआवजे के भुगतान प्रकरण मेंकेंद्र तथा राज्यों के मध्य भारी अविश्वास उत्पन्न हो गया।
  • जी.एस.टी. क्षतिपूर्ति राज्यों के लिये राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है, अतः राज्य राजस्व अनिश्चितता को सीमित रखना चाहते हैं।

क्षतिपूर्ति समयावधि में विस्तार हेतु प्रावधान

जी.एस.टी.क्षतिपूर्ति की समयावधि मूल कानून में निर्धारित की गई थी। अतः इसमें विस्तार के लिये सर्वप्रथम जी.एस.टी. परिषद्केंद्र सरकार को सिफ़ारिश भेजेगी, तत्पश्चात केंद्र सरकार जी.एस.टी. अधिनियम में संशोधन कर क्षतिपूर्ति की समयावधि में वृद्धि कर सकती है।

राजस्व क्षतिपूर्ति के समक्ष चुनौतियाँ

जी.एस.टी. के लिये निर्मित तकनीकी प्लेटफ़ॉर्म में लंबे समय तक सुधार न किये जाने के कारण बड़े पैमाने पर नकली बिल का उपयोग कर इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit)का दुरुपयोग किया गया, जिससे राजस्व संग्रहण में कमी आई।

आगे की राह

  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में शामिल 50% उपभोक्ता वस्तुओं को जी.एस.टी. के दायरे से बाहर रखा गया है। कर दायरे में वृद्धि के लिये इनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण वस्तुओं को जी.एस.टी. कर दायरे में शामिल करने की आवश्यकता है।
  • पेट्रोलियम उत्पादों, रियल एस्टेट, मानव उपभोग के लिये शराब और बिजली को जी.एस.टी. के दायरे में लाया जाना चाहिये।
  • वर्तमान जी.एस.टी. कर संरचना (5%, 12%, 18% तथा 28%की प्रचलित दरें) बहुत जटिल है,जो प्रशासनिक व अनुपालन समस्याओं का कारण बनती है। कर संचरना में सुधार के लिये राज्यों का सहयोग आवश्यक है, जो राज्यों को समयबद्ध क्षतिपूर्ति के बाद ही संभव हो सकता है।
  • सहकारी संघवाद को और सुदृढ़ करने के लिये राज्य एवं केंद्र के मध्य सहयोग आवश्यक है। इसके एक घटक के रूप में जी.एस.टी. क्षतिपूर्ति के मुद्दे को सुलझाया जाना आवश्यक है, ताकि ‘एक देश- एक कर’ की अवधारणा को साकार किया जा सके।
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