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गुप्तेश्वर वन स्थल जैव विविधता विरासत स्थल घोषित

प्रारम्भिक परीक्षा – गुप्तेश्वर जैव विविधता विरासत स्थल घोषित
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर- 3 (जैव-विविधता, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी)

चर्चा में क्यों

ओडिशा सरकार ने कोरापुट जिले के गुप्तेश्वर वन को अपना चौथा जैव विविधता विरासत स्थल (BHS) घोषित किया है।

Gupteshwar-Forest

प्रमुख बिंदु :-

  • इससे पहले, ओडिशा सरकार ने कंधमाल जिले में मंदसरू, गजपति में महेंद्रगिरि एवं बारगढ़ और बोलांगीर जिलों में गंधमर्दन को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया था।

गुप्तेश्वर वन स्थल :-

Gupteshwar-Forest-Site

  • यह 350 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला पारंपरिक रूप से स्थानीय समुदाय द्वारा पूजे जाने वाला एक पवित्र स्थल है। 
  • यहाँ वनस्पतियों और जीवों की एक विस्तृत श्रृंखला पायी जाती है।
  • ओडिशा जैव विविधता बोर्ड द्वारा की गई जैव विविधता सूची और सर्वेक्षण के अनुसार, इस स्थल पर 608 जीव-जंतु की प्रजातियाँ पायी जाती हैं। 
    • स्तनधारियों की 28 प्रजातियाँ
    • पक्षियों की 188 प्रजातियाँ
    • उभयचर की 18 प्रजातियाँ
    • सरीसृपों की 48 प्रजातियाँ
    • तितलियों की 141 प्रजातियाँ 
    • कीट पतंगों की 43 प्रजातियाँ
    • मकड़ियों की 30 प्रजातियाँ
    • बिच्छू की 6 प्रजातियाँ 
    • चमगादड़ की 8 प्रजातियाँ 
    • अकशेरुकी जीवों की 20 प्रजातियाँ।
  • इस जैव विविधता स्थल में वनस्पतियों की निम्नलिखित प्रजातियां पायी जाती हैं :- 
    • पेड़ों की 182 प्रजातियाँ 
    • झाड़ियों की 76 प्रजातियाँ 
    • जड़ी-बूटियों की 177 प्रजातियाँ 
    • ऑर्किड की 14 प्रजातियाँ 
  • यहाँ पर भारतीय तुरही वृक्ष, भारतीय साँप जड़, क्यूम्बी जैसे औषधीय पौधे भी पाए जाते हैं। 

आगे की राह :-

  • राज्य सरकार ने ओडिशा जैव विविधता बोर्ड को स्थानीय समुदायों की प्रत्यक्ष भागीदारी के माध्यम से इन स्थलों के गहन संरक्षण और विकास के लिए एक दीर्घकालिक योजना तैयार कर रही है। 
  • इस योजना के तहत जैव विविधता स्थलों के संरक्षण और विकास के लिए 35 लाख की राशि प्रदान की जाएगी।

जैव विविधता विरासत स्थल (BHS):-

  • जैविक विविधता अधिनियम, 2002 की धारा-37 के तहत राज्य सरकार स्थानीय निकायों के परामर्श से जैव विविधता महत्व के क्षेत्रों को जैव विविधता विरासत स्थलों (BHS) के रूप में अधिसूचित कर सकती है।

उद्देश्य :-

  • जैव विविधता विरासत स्थल (BHS) घोषित करने का उद्देश्य ऐसी साइटों के संरक्षण के माध्यम से स्थानीय समुदायों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है।

महत्व:-

  • जैव विविधता विरासत स्थल (BHS) के निर्माण से स्थानीय समुदायों की प्रचलित प्रथाओं और उपयोगों पर उनके द्वारा स्वेच्छा से तय की गई प्रथाओं के अलावा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है। 
  • 'जैव विविधता विरासत स्थल' (BHS) निम्नलिखित घटकों में से किसी एक या अधिक से युक्त समृद्ध जैव विविधता वाले अद्वितीय पारिस्थितिक तंत्र हैं:-
  1. जंगली और पालतू प्रजातियों या अंतर-विशिष्ट श्रेणियों की समृद्धि।
  2. उच्च स्थानिकवाद (High endemism)।
  3. दुर्लभ और खतरे वाली प्रमुख प्रजातियों एवं विकासवादी महत्व की प्रजातियों की उपस्थिति।
  4. घरेलू/खेती की गई प्रजातियों या उनकी किस्मों के जंगली पूर्वज।
  5. जीवाश्म द्वारा दर्शाए गए जैविक घटकों की श्रेष्ठता और महत्वपूर्ण सांस्कृतिक, नैतिक या सौंदर्य मूल्य और उनके साथ मानव जुड़ाव के लंबे इतिहास के साथ या उसके बिना, सांस्कृतिक विविधता के रखरखाव के लिए महत्वपूर्ण हैं।

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- हाल ही ओडिश सरकार ने किसे अपना चौथा जैव विविधता विरासत स्थल (BHS) घोषित किया है? 

(a) मंदसरू 

(b) गंधमर्दन 

(c) महेंद्रगिरि

(d) गुप्तेश्वर वन स्थल 

उत्तर - (d)

मुख्य परीक्षा प्रश्न:- जैव विविधता विरासत स्थल (BHS) क्या है? इसके महत्व की विवेचना कीजिए। 

स्रोत: THE HINDU

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