New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 15th Jan., 2026 New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Delhi : 15th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड- सैफरान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड डिफेंस रक्षा समझौता

(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, समान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: आंतरिक सुरक्षा, सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन, विभिन्न सुरक्षा बल व संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश)

संदर्भ 

हाल ही में, मेक-इन-इंडिया पहल को मजबूती देते हुए मिनी नवरत्न रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम ‘इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (IOL)’ ने फ्रांस की प्रमुख रक्षा कंपनी सैफरान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड डिफेंस के साथ भारत में दो अत्याधुनिक और युद्ध में परखी जा चुकी रक्षा प्रणालियों के स्वदेशी उत्पादन के लिए एक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए। 

समझौते का दायरा

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस समझौते के अंतर्गत जिन प्रणालियों का निर्माण किया जाएगा, उनमें शामिल हैं-

1. SIGMA 30N (डिजिटल रिंग लेजर जाइरो इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम)

  • उपयोग: यह प्रणाली मुख्यत: आर्टिलरी (तोपखाने), वायु रक्षा प्रणालियों, मिसाइलों और रडारों को सटीक नेविगेशन एवं दिशा-निर्देश प्रदान करती है।
  • महत्व: यह जटिल भौगोलिक परिस्थितियों में भी हथियारों को सटीक लक्ष्य भेदने में सक्षम बनाती है। 

2. CM3-MR (डायरेक्ट फायरिंग साइट)

  • उपयोग: इसे विशेष रूप से तोपखाने और ड्रोन-रोधी (Anti-drone) अनुप्रयोगों के लिए विकसित किया गया है।
  • महत्व: यह आधुनिक युद्ध के बदलते स्वरूप, विशेषकर ड्रोन खतरों से निपटने के लिए परिचालन प्रभावशीलता को बढ़ाता है। 

साझेदारी का स्वरूप और आत्मनिर्भर भारत 

यह समझौता जनवरी 2024 में हुए प्रारंभिक एम.ओ.यू. (MoU) का विस्तार है। इसके तहत तकनीक का हस्तांतरण केवल कागजों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूर्ण विनिर्माण चक्र भारत में संपन्न होगा:

  • स्थानीय विनिर्माण: इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (IOL) इन प्रणालियों के निर्माण, अंतिम संयोजन (Assembly) और परीक्षण की जिम्मेदारी संभालेगी।
  • जीवन-चक्र समर्थन: आई.ओ.एल. इन प्रणालियों के रखरखाव और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए उत्तरदायी होगी, जिससे सेना की परिचालन तत्परता सुनिश्चित हो सकेगी।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (ToT): इस साझेदारी का मुख्य उद्देश्य आयात पर निर्भरता कम करना और महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों में भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। 

निष्कर्ष

यह साझेदारी न केवल भारतीय सेना की जमीनी हथियार प्रणालियों के प्रदर्शन को उन्नत करेगी, बल्कि वैश्विक रक्षा विनिर्माण मानचित्र पर भारत की स्थिति को अधिक मजबूत करेगी। स्वदेशी उत्पादन से भविष्य में न केवल उत्पादन लागत कम होगी, बल्कि मरम्मत एवं समर्थन के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भरता भी समाप्त होगी।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR