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हसदेव अरण्य क्षेत्र 

चर्चा में क्यों 

हाल ही में, छत्तीसगढ़ विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक ‘निजी सदस्य प्रस्ताव’ पारित कर केंद्र से पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील हसदेव अरण्य (जंगल) क्षेत्र में सभी कोयला खनन ब्लॉक आवंटन रद्द करने का आग्रह किया है। 

हसदेव-अरण्य क्षेत्र 

  • उत्तर-मध्य छत्तीसगढ़ में विस्तृत यह क्षेत्र हसदेव नदी के जलग्रहण क्षेत्र में स्थित है। इसे छत्तीसगढ़ का फेफड़ा भी कहते हैं। 
  • हसदेव छत्तीसगढ़ से निकलने वाली और ओडिशा से बहकर बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली महानदी की एक सहायक नदी है। 
  • यह हसदेव नदी पर बने ‘हसदेव बांगो बांध’ के लिये जलग्रहण क्षेत्र हैं, जो धान जैसी राज्य की मुख्य फसल की सिंचाई के लिये महत्वपूर्ण है। 
  • समृद्ध जैव विविधता और हाथियों के लिये बड़े प्रवासी गलियारे की उपस्थिति के कारण यह पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील हैं। 
  • हसदेव अरण्य के नीचे एक कोयला क्षेत्र है। वर्ष 2010 में केंद्र सरकार ने इसे खनन के लिये प्रतिबंधित कर दिया था, जिसके एक वर्ष बाद ही पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने खनन मंजूरी दे दी थी। 

निजी सदस्य संकल्प 

  • एक विधायक जो मंत्री नहीं है- चाहे वह सत्ताधारी दल से हो या नहीं- एक निजी सदस्य है। एक निजी सदस्य संकल्प, एक गैर-सरकारी सदस्य द्वारा ही लाया जा सकता है और यदि पारित हो जाता है, तो यह सदन की अभिव्यक्ति बन जाता है। 
  • यह एक निजी सदस्य विधेयक से अलग है जो अनुमोदन के पश्चात् कानून बन जाता है। 
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