(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।) |
संदर्भ
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पहली बार ‘बांझपन की रोकथाम, निदान और उपचार’ पर वैश्विक दिशानिर्देश जारी किए हैं। इनका उद्देश्य दुनिया भर में फर्टिलिटी केयर को अधिक सुरक्षित, किफायती और सभी के लिए सुलभ बनाना है।
बांझपन : एक वैश्विक संकट
दुनिया में बांझपन तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन जांच और उपचार की पहुंच बहुत सीमित है। कई देशों में IVF जैसी तकनीकें अत्यधिक महंगी हैं, जिससे लोग आर्थिक संकट में पड़ जाते हैं। WHO ने इसे स्वास्थ्य समानता का बड़ा मुद्दा बताया है।
पृष्ठभूमि
- WHO के अनुसार, प्रजनन आयु के हर 6 में से 1 व्यक्ति अपने जीवन में कभी न कभी बांझपन का सामना करता है।
- बांझपन की परिभाषा: 12 महीनों तक नियमित असुरक्षित यौन संबंध (गर्भ निरोधक के बिना) बनाने के बावजूद गर्भधारण न होना।
- वर्तमान में कई देशों में बांझपन का उपचार निजी क्षेत्र पर निर्भर है और खर्च मरीजों को स्वयं वहन करना पड़ता है।
- WHO निदेशक टेड्रोस ने बांझपन को “सबसे उपेक्षित वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक” बताया है।
मुख्य बिंदु
- WHO ने पहली बार बांझपन की रोकथाम, निदान और उपचार पर 40 सिफारिशें जारी कीं।
- दिशानिर्देशों में लागत-प्रभावी विकल्पों को बढ़ावा देने और फर्टिलिटी केयर को राष्ट्रीय स्वास्थ्य रणनीतियों में शामिल करने पर जोर दिया गया है।
- WHO ने यौन संचारित संक्रमणों (STIs) का समय पर इलाज, तंबाकू का उपयोग, अस्वास्थ्यकर जीवनशैली, आहार, शारीरिक गतिविधि और तंबाकू त्याग जैसी जीवनशैली सुधारों की सलाह दी गई है।
- दिशानिर्देशों में स्कूलों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्रजनन स्वास्थ्य सुविधाओं में फर्टिलिटी संबंधी जागरूकता बढ़ाने की बात कही गई है।
- पुरुष और महिला बांझपन के सामान्य जैविक कारणों के निदान के लिए क्लिनिकल मार्ग बताए गए हैं।
- उपचार सरल सलाह (fertile window awareness) से लेकर IUI और IVF जैसे जटिल उपचारों तक प्रगतिशील तरीके से बढ़ने की अनुशंसा।
- WHO ने बांझपन के मानसिक असर जैसे- डिप्रेशन, चिंता, सामाजिक अलगाव, को ध्यान में रखते हुए मनोसामाजिक सहायता उपलब्ध कराने पर जोर दिया।
चुनौतियाँ
- कई देशों में IVF जैसे उपचार की लागत परिवार की वार्षिक आय से कई गुना अधिक होती है।
- बांझपन सेवाओं की मांग बढ़ रही है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर सीमित है।
- सामाजिक वर्जनाएँ, मानसिक तनाव और महिलाओं पर दोषारोपण जैसी समस्याएँ अभी भी मौजूद हैं।
- स्वास्थ्य प्रणालियों में फर्टिलिटी केयर का अभाव और सरकारी योजनाओं में अपर्याप्त समावेशन।
- ग्रामीण क्षेत्रों और निम्न-आय वर्ग के लोगों के लिए जांच व उपचार तक पहुंच बेहद सीमित।
आगे की राह
- सरकारी सहायता बढ़ाना: फर्टिलिटी जांच और उपचार को स्वास्थ्य बीमा और सरकारी योजनाओं में शामिल करना।
- सस्ती सेवाएँ उपलब्ध कराना: सार्वजनिक अस्पतालों में IVF/IUI जैसी तकनीकों के लिए किफायती मॉडल विकसित करना।
- जागरूकता अभियान: स्कूल स्तर से फर्टिलिटी साक्षरता, STIs की रोकथाम, तथा स्वस्थ जीवनशैली पर शिक्षा।
- मानसिक स्वास्थ्य सहयोग: फर्टिलिटी क्लीनिकों में काउंसलिंग और समर्थन सेवाएँ सुनिश्चित करना।
- समान पहुंच: ग्रामीण और पिछड़े वर्गों तक फर्टिलिटी सेवाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए मोबाइल क्लीनिक, टेली-मेडिसिन और प्रशिक्षण कार्यक्रम।
- डाटा और शोध: राष्ट्रीय स्तर पर बांझपन संबंधी डाटा संग्रहण और अनुसंधान को प्रोत्साहन।