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भारतीय शहरों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि)

संदर्भ

विश्व बैंक की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार जहाँ एक ओर भारतीय शहर आर्थिक विकास और रोज़गार को बढ़ावा देने के लिए तैयार हैं, वहीं दूसरी ओर जलवायु जोखिमों, विशेष रूप से शहरी बाढ़, के प्रति भी उनकी संवेदनशीलता में वृद्धि हुई है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

शहरी रोज़गार वृद्धि

वर्ष 2030 तक भारतीय शहरों द्वारा नए रोज़गार सृजन और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 70% योगदान देने की उम्मीद है। शहरीकरण भारत के विकास पथ एवं जनसांख्यिकीय लाभांश का केंद्रबिंदु है।

जलवायु भेद्यता

वर्ष 2030 तक भारतीय शहरों को बाढ़ से संबंधित वार्षिक नुकसान लगभग $5.4 बिलियन तक का हो सकता है। अनियोजित विकास, खराब जल निकासी और पुराने बुनियादी ढाँचे से ये कमज़ोरियाँ उत्पन्न होती हैं।

शहरी लचीलेपन की आवश्यकता

योजना एवं वित्तपोषण में अधिक स्थानीय स्वायत्तता महत्त्वपूर्ण है। शहरों को जलवायु संबंधी आघातों के विरुद्ध तेज़ी से प्रतिक्रिया देने और सक्रिय रूप से योजना बनाने के लिए उपकरणों की आवश्यकता है।

वित्तीय अंतराल

शहरी स्थानीय निकाय (ULB) अभी भी अपर्याप्त वित्तपोषित हैं और उनकी साख कम है। हरित अवसंरचना, पूर्व चेतावनी प्रणालियों और बाढ़ प्रबंधन में निवेश की आवश्यकता है।

नीतिगत सुझाव

  • नगरीय प्रशासन को सशक्त बनाने के लिए 74वें संविधान संशोधन को सुदृढ़ करना
  • कार्य-आधारित प्रोत्साहनों के साथ अंतर-सरकारी वित्तीय हस्तांतरण में वृद्धि
  • जलवायु-अनुकूल शहरी नियोजन और अनुकूल भवन संहिताओं को बढ़ावा
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