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भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन के निहितार्थ 

संदर्भ 

हाल ही में, कोविड-19 के बढ़ते मामलों के कारण गणतंत्र दिवस के समारोह में पाँच मध्य-एशियाई देशों के नेताओं की यात्रा रद्द कर दी गई। इसके पश्चात् भारत की मेजबानी में इन पाँच मध्य-एशियाई देशों (कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान) के राष्ट्रपतियों के साथ आभासी सम्मेलन का आयोजन किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • दोनों पक्षों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 30वीं वर्षगांठ पर यह पहला भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मलेन का आयोजन है। दोनों पक्षों ने प्रत्येक दो वर्ष में शिखर सम्मेलन आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की है।
  • नई व्यवस्था का सहयोग करने के लिये नई दिल्ली में एक भारत-मध्य एशिया सचिवालय स्थापित किया जाएगा।

शिखर सम्मेलन का उद्देश्य

भारत एवं मध्य-एशिया के पाँचों देशों के मध्य आयोजित हुए प्रथम शिखर सम्मेलन के तीन मुख्य उद्देश्य हैं-

  • दोनों पक्षों के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि के लिये आपसी सहयोग को बढ़ावा देना। 
  • दोनों पक्षों के मध्य आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिये एक महत्वाकांक्षी रोडमैप तैयार करना।
  • भारत और मध्य एशिया सहयोग को एक ढांचा प्रदान करना, जिससे विभिन्न स्तरों पर नियमित बातचीत की रूपरेखा स्थापित हो सकें। 

दिल्ली घोषणा पत्र 

शिखर सम्मेलन के पश्चात् दिल्ली घोषणापत्र जारी किया गया, जिसके प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं- 

  • दोनों पक्षों के मध्य रक्षा सहयोग को एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ के रूप में स्वीकार किया गया है।
  • मध्य एशिया के राष्ट्रपतियों ने भारत के साथ नियमित द्विपक्षीय सैन्य आतंकवाद विरोधी अभ्यासों पर सहमति व्यक्त की हैं।
  • इसमें ऊर्जा और संपर्क पर गोलमेज बैठक तथा अफगानिस्तान और चाबहार बंदरगाह के मुद्दे पर वरिष्ठ आधिकारिक स्तर के संयुक्त कार्य समूह पर सहमति व्यक्त की गई है।
  • मध्य-एशियाई देशों में बौद्ध प्रदर्शनी तथा मध्य-एशियाई देशों से भारत में प्रत्येक वर्ष 100 सदस्यीय युवा प्रतिनिधिमंडल की यात्रा को स्वीकार किया गया हैं।

भारत के लिये मध्य एशियाई देशों का महत्त्व

  • मध्य-एशिया एक एकीकृत और स्थिर विस्तारित पड़ोस के रूप में भारत की विदेश नीति का मुख्य केंद्र है।
  • मध्य-एशियाई पाँच देशों में से तीन देश ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान- अफगानिस्तान के साथ सीमा साझा करते हैं, जहाँ वर्तमान में तालिबान का शासन है।
  • इसके अतिरिक्त, इन पाँच देशों में से तीन देश- कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान- चीन के साथ अपनी सीमा साझा करते हैं।
  • सभी मध्य एशियाई देशों का पाकिस्तान एवं चीन के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। यहीं कारण है कि ये देश आपस में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के साथ-साथ चतुर्भुज यातायात और पारगमन समझौता (QTTA) में साझेदार है।

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